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Soybean Rate Kisan Protest: मध्य प्रदेश में सोयाबीन के कम दामों के विरोध में सभी किसान संगठन एकजुट हो गए हैं। ये अब रेट बढ़वाने के लिए बड़े आंदोलन की तैयारी में है। किसान के विरोध की मुख्य वजह सोयाबीन की फसल में लागत भी नहीं निकाल पाना है।
एक एकड़ में सोयाबीन लगाने की लागत 20 हजार रुपये है। उत्पादन 5 क्विंटल के आसपास होगा तो ऐसे में 3500 के रेट पर उसे मंडी में मात्र 17500 रुपये ही मिलेंगे, यानी अपनी लागत से 2500 रुपये कम। यही कारण है कि किसान सोयाबीन के कम रेट को लेकर अब आंदोलन करने के मूड में आ गया है।
खड़ी फसलों पर चला रहे ट्रैक्टर
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के गरोठ गांव के किसान कमलेश पाटीदार ने सोयाबीन की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। क्योंकि बाजार का भाव नफा की बजाय नुकसान का सौदा दे रहा था। किसान कमलेश पाटीदार ने बताया कि सोयाबीन की लागत ज्यादा है और मंडी में वह सिर्फ 3500 से 3800 रुपये क्विंटल पर बिक रहा है।
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ऐसे में जो फसल घाटा देगी ही उसे दो महीने तक और क्यों खेत में खड़ा रखा जाए। पाटीदार ने सोयाबीन की फसल बखर दी है, वह अब इसमें कोई दूसरी फसल लगाएंगे। इसी तरह कई और किसानों ने अपनी खड़ी सोयाबीन की फसल पर टैक्टर चला दिया।
एक वीडियो बना आंदोलन की चिंगारी
सोशल मीडिया पर सबसे पहले 18 अगस्त को कमलेश पाटीदार का ही फसल पर टैक्टर चलाने का वीडियो सामने आया। कमलेश पाटीदार ने ही पुष्टी की कि उनके ही गांव के कुछ और किसानों ने अपनी सोयाबीन की फसल पर ट्रेक्टर चला दिया है।
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इसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों से भी कुछ इसी तरह के वीडियो सामने आने लगे। देखते ही देखते एक वीडियो ने आंदोलन की चिंगारी जला दी। इस मुद्दे को लेकर किसान संगठन एकजुट हो गए हैं और प्रदेश में सोयाबीन के कम रेट को लेकर मुखर हो रहे हैं।
6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की मांग
सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4850 रुपये के आसपास है, लेकिन मंडियों में ये 1000 से लेकर 1350 रुपये तक कम रेट पर बिक रहा है। समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाने से किसान अब सोयाबीन की फसल से दूरी बना रहे हैं।
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अब किसान संगठनों ने मांग की है कि प्रदेश में सोयाबीन का रेट कम से कम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।
किसान संगठनों की ये रणनीति
1 से 7 सितंबर तक किसान संगठन अपने अपने इलाकों में सोयाबीन उत्पादक गांवों में ज्ञापन देंगे। अंदाज इस बात का है कि करीब 10 हजार गांवों में सरपंच और सचिवों को ज्ञापन दिया जाएगा।
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7 सितंबर तक यदि सरकार किसानों की मांगें पूरी नहीं करती है तो किसान फिर सड़कों पर उतरने (Soybean Rate Kisan Protest) की रणनीति बनाएंगे।
उत्पादन घटा पर लागत बढ़ गई
बाजार में अमानक बीज की भरमार है। सरकारी प्रयास इन्हें रोकने में नाकाम ही रहे हैं या जो प्रयास किये जा रहे हैं वो नाकाफी है। अमानक बीज, खाद और कीटनाशक के उपयोग से सोयाबीन के उत्पादन पर असर पड़ा है।
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इसके उलट डीजल, बिजली, लेबर, ट्रांसर्पोटेशन महंगा होने से सोयाबीन की लागत बढ़ चुकी है। जिसके कारण किसानोंं के लिये अब सोयाबीन की चमक पीले सोने जैसी नहीं रही।
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