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MP Soybean Procurement: मध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए ये चौंकाने वाली खबर है। प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदने के लिए कुल उत्पादन का 40 फीसदी खरीदने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अनुमति सिर्फ 20% की ही मिली है। इससे किसानों को अपनी 80 फीसदी उपज को बाजार में ही बेचना पड़ेगा।
मामले की जानकारी कैबिनेट ब्रीफिंग में तब मिली, जब उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि भारत सरकार से 3.68 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन उपार्जन की अनुमति मिली है। यह अनुमानित उत्पादन का करीब 20 फीसदी के बराबर है। किसान संगठनों में इसे लेकर भारी नाराजगी है।
केंद्र को ये भेजा गया था प्रस्ताव
सोशल मीडिया पर कुछ दिनों पहले एक डाक्यूमेंट वायरल हुआ। जिसमें कुल उत्पादन का सिर्फ 40 फीसदी सोयाबीन खरीदने की बात कही गई।
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दस्तावेज के अनुसार प्रदेश में 68.36 लाख मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन होने की संभावना है। इसमें से समर्थन मूल्य पर 40 प्रतिशत यानी 27.34 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदने की तैयारी थी।
13.68 लाख मीट्रिक टन होगी सोयाबीन की खरीदी
भारत सरकार ने प्रदेश में सोयाबीन के 13.68 लाख मीट्रिक टन के उपार्जन की अनुमति दी है। खरीफ वर्ष 2023 अंतिम अनुमान अनुसार प्रदेश में 68.36 लाख मीट्रिक टन उत्पादन बताया गया है।
इस सीजन भी यही उत्पादन मान लिया जाए तो 13.68 लाख मीट्रिक टन कुल उत्पादन का सिर्फ 20 फीसदी ही होगा।
20 फीसदी सोयाबीन खरीदने के क्या मायने?
एक हेक्टेयर पर मान लीजिए करीब 10 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है। सरकार सिर्फ किसान से 20 फीसदी यानी 2 क्विंटल ही सोयाबीन खरीदेगी। यानी सरकार को बेचने पर किसान को 9748 रुपये मिलेंगे। बची 8 क्विंटल सोयाबीन किसान को मार्केट रेट पर बेचना होगा। 4 हजार के रेट के हिसाब 32 हजार रुपये किसान को मिलेंगे।
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यानी पूरी 10 क्विंटल सोयाबीन बेचने पर किसान को कुल 41 हजार से अधिक रुपये मिलेंगे। जबकि यदि 10 क्विंटल सोयाबीन ही MSP पर खरीदी गई होती तो किसान को 48920 रुपये मिलते। मतलब 20 फीसदी सोयाबीन खरीदने पर 1 हेक्टयेर पर ही किसान को 7 हजार रुपये का नुकसान हो जाएगा।
किसान के विरोध की ये है वजह
एक एकड़ में सोयाबीन लगाने की लागत 20 से 25 हजार रुपये है। उत्पादन 5 क्विंटल के आसपास होगा तो ऐसे में 4892 के रेट पर उसे 24460 रुपये ही मिलेंगे।
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इस राशि में या तो लागत निकलेगी या लागत से बामुश्किल 2 से 3 हजार रुपये ज्यादा मिलेंगे। यही कारण है कि किसान एमएसपी रेट पर खरीदी नहीं बल्कि सोयाबीन का भाव 6 हजार रुपये करने की मांग पर अड़ा है।
6 हजार रुपये भाव होने तक जारी रहेगा आंदोलन
सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल ये 4600 थी। इस वर्ष इसमें 292 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।
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किसान संगठनों ने साफ किया है कि जब तक सोयाबीन के रेट 6 हजार रुपये नहीं हो जाते, तब तक उनका ये आंदोलन जारी रहेगा। अभी तहसील और जिला मुख्यालयों में ट्रेक्टर रैली निकालने का आयोजन हो रहा है।
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मशाल रैली के बाद किसान करेंगे चक्काजाम
सोयाबीन के रेट 6000 रुपये करने के लिए किसान गांव गांव में जन जागरुकता के लिए मशाल रैली निकाल रहे हैं। ये रैली 30 सितंबर तक निकाली जाएंगी।
1 अक्टूबर को किसान नेशनल और स्टेट हाईवे सहित गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़क पर जाम करेंगे। ये चक्काजाम दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक तीन घंटे के लिए होगा।
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