भोपाल। आज से विधानसभा में मॉनसून सत्र (MP Vidhansabha Monsoon Season) शुरू हो गया है। सोमवार को विधानसभा (MP Vidhansabha) में कार्रावाई शुरू हुई। विधानसभा में निर्दलीय विधायक शेरा अपनी पत्नी के साथ पहुंचे। शेरा ने अपनी पत्नी के लिए कांग्रेस की तरफ से खंडवा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए टिकट की मांग की है। शेरा ने कहा कि मैंने पीसीसी चीफ कमलनाथ (PCC Chief Kamalnath) से अपनी पत्नी के लिए खंडवा उपचुनाव के लिए टिकट की मांग की है। शेरा (MLA Shera) ने कहा कि मुझे 100 प्रतिशत उम्मीद है कि मेरी पत्नी को टिकट मिलेगा। सर्वे को लेकर कहा कि अगर कांग्रेस का सर्वे सच्चा है तो टिकट हमें ही मिलेगा। शेरा ने कहा कि हमारी कर्मभूमी खंडवा है।
हमारे परिवार के सदस्य विधायक और सांसद रह चुके हैं। हमारा परिवार 50 साल से राजनीति कर रहा है। सभी हमारे परिवार को जानते हैं। शेरा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आर्शीवाद से मेरी पत्नी को टिकट मिलना चाहिए। हम पीसीसी चीफ कमलनाथ और सोनिया गांधी के आर्शीवाद से खंडवा चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि बीते दिनों निर्दलीय विधायक शेरा खंडवा सीट (Khandwa Loksabha Seat Upchunav) पर होने वाले लोकसभा उपचुनावों को लेकर दावेदारी पेश कर रहे हैं। टिकट को लेकर शेरा लगातार कांग्रेस के पदाधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) भी खंडवा से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। बीते दिनों से अरुण यादव लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रे में काफी खींचतान देखने को मिल रही है।
खंडवा लोकसभा सीट का गणित
दरअसल, खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल है। इन 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी का कब्जा है। 1980 के बाद यहां पहली बार उपचुनाव कराए जाएंगे। इससे पहले 1979 में यहां उपचुनाव कराया गया था। जिसमें जनता पार्टी के कुशाभाऊ ठाकरे ने कांग्रेस के एस.एन ठाकुर को हराया था। कुशाभाऊ बाद में बीजेपी के अध्यक्ष भी बने थे।
क्या है इस सीट का इतिहास
इस सीट से सबसे ज्यादा बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान (Nandkumar Singh Chauhan) जीतने वाले सांसद हैं। यहां की जनता ने उन्हें 6 बार चुनकर संसद तक पहुंचाया था। खंडवा लोकसभा सीट पर सबसे पहला चुनाव साल 1962 में हुआ था। जिसमें कांग्रेस के महेश दत्ता ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने कब्जा जमाए रखा। लेकिन साल 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कांग्रेस (Congress) को हरा दिया। 1980 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिवकुमार सिंह सांसद बनें। आगला चुनाव भी कांग्रेस ने ही जीता। पहली बार इस सीट पर 1989 में बीजेपी ने जीत हासिल की। हालांकि बीजेपी ज्यादा दिनों तक यहां टिक नहीं पाई और साल 1991 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।