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खंडवा में मासूम को 5 इंजेक्शन का हैवी डोज...मौत: परिजनों बोले- पेट दर्द था, डॉक्टर ने निमानिया बताकर किया इलाज

Madhya Pradesh Khandwa Injection Overdose Child Death Case: मध्यप्रदेश के खंडवा में एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण डेढ़ साल के बच्चे की जान चली गई।

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BP Shrivastava
Khandwa Child Death

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हाइलाइट्स

  • झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की मौत
  • यूक्रेन से अधूरी पढ़ाई कर लौटा डॉक्टर
  • पहले भी गलत इलाज से युवती की जान गई
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Khandwa Child Death: मध्यप्रदेश के खंडवा में एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण डेढ़ साल के बच्चे की जान चली गई। पेट में दर्द शिकायत पर झोलाछाप ने चेकअप कर उसे निमानिया बताया और पांच इंजेक्शन का हैवी डोज दे दिया। जिससे मासूम की मौत हो गई। बताते हैं डॉक्टर यूक्रेन से पढ़ाई अधूरी छोड़कर खंडवा आया और यहीं इलाज करने लगा। इसी डॉक्टर के इलाज से पहले भी एक युवती की जान जा चुकी है।

मासूम की हालत बिगड़ी तो डॉक्टर भागा

खंडवा के गांधवा गांव में डेढ़ साल के मासूम बच्चे की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत हो गई। बच्चे के पिता, लाबु बारेला ने बताया कि गुरुवार को एक रिश्तेदार की सलाह पर वे गांव के डॉक्टर हिमांशु यादव (24) के पास गए थे, जिसने छोटी दुकान में मिनी अस्पताल जैसा क्लिनिक खोल रखा था।

हिमांशु ने बच्चे का चेकअप कर कहा कि उसे निमोनिया है और पांच दिन इलाज करना होगा। पहले उसने एक छोटी सलाइन लगाई, फिर बड़ी सलाइन में पांच इंजेक्शन उतार दिए। कुछ ही देर में बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। जब परिजनों ने डॉक्टर को बुलाया, तो वह गायब था। डॉक्टर की पत्नी ने उल्टा धमकाते हुए कहा कि “बच्चे को घर ले जाओ, नहीं तो पुलिस बुलाएंगे।”

[caption id="attachment_916542" align="alignnone" width="1010"]publive-image खंडवा में एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण डेढ़ साल के बच्चे की जान चली गई।[/caption]

पुलिस चौकी पर नहीं हुई सुनवाई

परिजनों ने पहले चौकी में शिकायत की, लेकिन वहां सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पिपलोद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई और बच्चे को जिला अस्पताल भेजा गया। शुक्रवार को पोस्टमॉर्टम हुआ। थाना प्रभारी एसएन पांडे ने बताया कि मर्ग कायम कर लिया गया है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी चुकी युवती की मौत

ग्रामीणों के अनुसार, हिमांशु यादव खुद को विदेश से पढ़ा हुआ डॉक्टर बताता था। वह यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था, लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद अधूरी पढ़ाई छोड़कर लौट आया। उसके पिता गणेश यादव सरकारी डिस्पेंसरी में ड्रेसर हैं। हिमांशु और उसकी पत्नी ने गांव में बिना रजिस्ट्रेशन के मिनी अस्पताल जैसा क्लिनिक खोल रखा है।

तीन साल पहले भी हिमांशु पर एक युवती की गलत इंजेक्शन से मौत का आरोप लगा था। मृतका प्रतिभा पाटीदार पीएटी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। तब मामला काफी बढ़ा, लेकिन बाद में समझौता हो गया।

क्लिनिक का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (पंधाना) ओमप्रकाश तंतवार ने बताया कि क्लिनिक का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि क्षेत्र में कई झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जिन पर धीरे-धीरे कार्रवाई की जा रही है और सभी को नोटिस थमाए जा रहे हैं।

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जानकारों के मुताबिक, निमोनिया की सही जांच एक्सरे से होती है, लेकिन हिमांशु ने केवल स्टेथेस्कोप से जांच कर डेढ़ साल के बच्चे को हैवी डोज इंजेक्शन दे दिया। जबकि परिजन तो बच्चे को पेट दर्द की शिकायत लेकर आए थे। इस लापरवाही के कारण बच्चे की जान चली गई।

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