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Farmers Movement: किसान आंदोलन में बार-बार जुड़ रहा है खालिस्तान का नाम, आखिर है क्या?

Farmers Movement: किसान आंदोलन में बार-बार जुड़ रहा है खालिस्तान का नाम, आखिर है क्या? Khalistan's name is being repeatedly added to the farmers movement , what is it?

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Bansal Digital Desk
Farmers Movement: किसान आंदोलन में बार-बार जुड़ रहा है खालिस्तान का नाम, आखिर है क्या?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषी कानूनों का विरोध लगातार किसान कर रहे हैं। वे 70 दिनों से दिल्ली बोर्डर पर धरने पर बैठे हैं। इस दौरान कभी हिंसा होती है तो कभी किसी के समर्थन में पोस्टर लगाए जाते हैं। कुछ लोग तो इस आंदोलन को खालिस्तान के नाम से भी जोड़ देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि खालिस्तान (Khalistan) क्या है और इसका जिक्र किसान आंदोलन के दौरान इतना क्यो हो रहा है।

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कई लोग लगा रहे हैं आरोप
दरअसल, जब से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने प्रदर्शन करना शुरू किया है तब से ही कई लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि किसान आंदोलन (Farmers Movement) की आंड़ में कुछ लोग फिर से खालिस्तान से जुड़ी मांगों को उठा चाह रहे हैं। लेकिन जैसे ही गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा हुई लोग कहने लगे कि अब तो आंदोलन को खालिस्तान समर्थकों ने हाईजैक ही कर लिया है। वहीं शुरूआत में महाराष्ट्र सरकार के साइबर सेल ने भी आगाह किया था कि खालिस्तानी विचारधारा को समर्थन करने वाले लोग सोशल मीडिया के जरिए आंदोलन में अपनी विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं।

क्या है खालिस्तान आंदोलन
अंग्रेज जब देश को दो हिस्सों में बांटने की योजना बना रहे थे। तब कुछ सिख समुदाय से आने वाले नेताओं ने अंग्रेजों से अपने लिए एक अलग से देश बनाने की मांग की थी। जिसका नाम उन्होंने खालिस्तान दिया था। लेकिन उस वक्त अंग्रेजों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। आजादी के बाद इसे लेकर हिंसक आंदोलन भी किया गया जिसमें कई लोगों की जान भी चली गई थी। दरअसल, इस आंदोलन की शुरूआत पहले पंजाबी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग से हुई थी। इसमें पंजाब के कुछ नेताओं ने 'पंजाबी सूबा' आंदोलन को चलाया था।

पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की हुई कोशिश
यह पहला मौका था जब देश में पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की कोशिश की गई थी। इसी आंदोलन से पंजाब की प्रमुख पार्टी अकाली दल का भी जन्म हुआ था। लेकिन तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाबियों के इस मांगों को खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि इस तरह की मांगे देश को तोड़ने का काम करेगी। भाषा के आधार पर अलग राज्य बनाने की मांग एक देशद्रोही मांग है।

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इसी आंदोलन से उपजा अकाली दल
हालांकि आंदोलन से उपजा अकाली दल (Akali Dal), पंजाब और उसके आस-पास के इलाकों में काफी तेजी से पैर पसार रहा था। पार्टी को कम समय में बेशुमार लोकप्रियता हासिल हो गई। लोगों ने अकाली दल के नेतृत्व में जबरदस्त प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। आखिरकार केंद्र सरकार को साल 1966 में उनकी मांगे माननी पड़ी और भाषा के आधार पर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना की गई।

राज्य बनने के बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ
पंजाब राज्य की स्थापना के बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ। कुछ लोगों ने 80 के दशक में खालिस्तान के नाम से पंजाब को एक स्वायत्त राज्य की मांग करने लगे। फिर से लोग इस मांग के साथ जुड़ने लगे और यह काफी हिंसक हो गया। 1984 में इस आंदोलन को ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) के माध्यम से कूचल दिया गया। हालांकि इस ऑपरेशन के बाद सिख समुदाय में काफी गुस्सा था। यही कारण है कि इस घटना के महज 4 महीने बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या कर दी गई।

आंदोलन शुरूआत से ही हिंसक रहा
खालिस्तान आंदोलन शुरूआत से ही हिंसक रहा है। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भी कई बार खालिस्तानी समर्थकों ने बड़े वारदातों को अंजाम दिया और आज भी भारत से बाहर बैठे कई समर्थक जहर उगलते रहते हैं।

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