नई दिल्ली। केरल के पलक्कड़ जिले के एक स्कूल ने अपने छात्रों से शिक्षकों को ‘सर’ या ‘मैडम’ नहीं बुलाने को कहा है। बल्कि उन्हें टीचर कह कर बुलाने का आदेश जारी किया गया है। पलक्कड़ जिले के ओलास्सेरी गांव में स्थित सरकारी सहायता प्राप्त सीनियर बेसिक स्कूल ने ये फैसला लिया है। ऐसे में अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर स्कूल ने ऐसा फैसला क्यों लिया?
इस कारण से लिया गया फैसला
दरअसल, केरल भारत का सबसे शिक्षित राज्य हैं। यहां का साक्षरता दर 94% है। इस राज्य में महिला और पुरूष साक्षरता दर भी भारत में सबसे अधिक है। यहां कई ऐसे फैसले लिए जाते हैं, जिनका परिणाम दुर्गमी होता है। इसी कड़ी में ओलास्सेरी गावं में स्थित स्कूल ने सर या मैडम की जगह टीचर करने का निर्णय किया है। ताकि स्कूल में जेंडर इक्वलिटी (Gender Equality) को बढ़ावा मिल सके।
यहां से आया विचार
स्कूल में 300 छात्र पढ़ते हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए 9 महिला शिक्षक और आठ पुरूष शिक्षक हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक वेणुगोपालन एच कहते हैं कि ऐसा करने का विचार सबसे पहले एक पुरुष स्टाफ सदस्य के दिमाग में आया था। टीचर संजीव कुमार वी. चाहते थे कि शिक्षकों को ‘सर’ कहने की पुरानी प्रथा को खत्म किया जाए। बता दें कि इससे पहले माथुर पंचायत (Mathoor panchayat) ने भी सर और मैडम की प्रथा को खत्म करने का फैसला किया था। इस गवर्निंग बॉडी ने पंचायत कर्मचारियों को उनके पदनाम से संबोधित करने का निर्देश दिया था।
कुछ लोगों ने विरोध भी किया
पंचायत के फैसले से प्रेरित होकर स्कूल ने भी अब अपने यहां जेंडर इक्वलिटी लाने की कोशिश की है। स्कूल के इस कदम का अभिभावकों ने भी स्वागत किया है। हालांकि, कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन धीरे-धीरे छात्रों ने ही शिक्षकों को ‘टीचर’ कहना शुरू कर दिया। स्कूल का कोई भी छात्र अब परूष शिक्षक को सर या महिला को मैडम कहकर नहीं पुकारता।
जेंडर इक्वलिटी के खिलाफ है सर और मैडम
स्कूल के प्रधानाध्यापक की माने तो ‘सर’ और ‘मैडम’ शब्द जेंडर इक्वलिटी के खिलाफ है। शिक्षकों को उनके पदनाम से ही संबोधित किया जाना उचित है। सार या मैडम शब्द औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है, इसलिए इस प्रथा को दूर किया जाना चाहिए।