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MP News: जीएमसी मामले में बड़ा अपडेट, एडमिशन से पहले लड़कियों का कराया जाता था प्रेग्नेंसी टेस्ट

गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर सरस्वती सुसाइड केस अब केरल से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है। मामले में अब अमित शाह को पत्र लिखा गया है।

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Agnesh Parashar
MP News: जीएमसी मामले में बड़ा अपडेट, एडमिशन से पहले लड़कियों का कराया जाता था प्रेग्नेंसी टेस्ट

भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर सरस्वती सुसाइड केस अब केरल से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है। मामले में केरल सांसद बिन्नी बहनान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। सरस्वती के सुसाइड को लेकर सांसद ने डॉ. अरुणा कुमार पर सवाल उठाए हैं। सांसद ने गृहमंत्री से जल्द से जल्द पूरे मामले पर एक्शन लेने की मांग की है।

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अमित शाह को लिखा पत्र

गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में सांसद ने मांग की है। कि संबंधित विभाग और डॉ अरुणा कुमार से पूछताछ की जाए। घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें निलंबित किया जाए। सरस्वती के माता पिता की रिक्वेस्ट पर केरल सांसद ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा।

जूनियर डॉक्टर्स  लगातार हड़ताल पर

भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स  लगातार हड़ताल पर बैठे हैं। डॉ. अरुणा कुमार के खिलाफ जूनियर डॉक्टर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। गायनिक डिपार्टमेंट की HOD रहीं डॉ. अरुणा कुमार के टॉर्चर के कई मामले सामने आए। डिपार्टमेंट में उनके खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह साल में तीन जूनियर डॉक्टर डिग्री अधूरी छोड़ चुके हैं।

डॉ. अरुणा का खौफ

एक जूनियर डॉक्टर पिछले दो महीने से एब्सेंट है। कॉलेज जाने के बावजूद डॉ. अरुणा रजिस्टर में गैर हाजिरी लगाती थीं। डॉ. अरुणा का खौफ इतना था कि कोई भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। यहां तक कि एडमिशन से पहले लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाया जाता था।

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छात्राओं के मुताबिर यह गायनिक नहीं, बल्कि डॉक्टरों के लिए टॉर्चर विभाग है। दरअसल GMC की जूनियर डॉक्टर सरस्वती ने सुसाइड कर लिया था। जिसके बाद डॉ. अरुणा कुमार को एचओडी पद से हटा दिया गया था। अरुणा कुमार पर प्रताड़ना के आरोप लगे थे।

पूरे मामले पर एक्शन लेने की केरल सांसद ने की मांग

संबंधित विभाग और एचओडी स्त्री रोग डॉ. अरुणा कुमार से विस्तृत पूछताछ

घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं उन्हें तब तक निलंबित किया जाए

जीएमसी कॉलेज विभागों में स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने और दुरुपयोग और विषाक्तता की जांच करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।

ऐसे विषाक्त विभागों के लिए उत्पीड़न सेल के साथ छात्रों के साथ व्यवहार करने के उनके रिकॉर्ड और इसकी समीक्षा के आधार पर विभागाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नए सुधारों की आवश्यकता है।

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