नई दिल्ली। (भाषा) दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति की रिपोर्ट से विवाद के बाद आगे बढ़ने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हर किसी से साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया ताकि कोविड-19 की अगली लहर में ऑक्सीजन की किल्लत ना हो। केजरीवाल ने ट्वीट किया कि आपस में लड़ेंगे तो कोरोना वायरस जीत जाएगा। एक दिन पहले आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच उस रिपोर्ट को लेकर जमकर जुबानी जंग हुई, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग चार गुना अधिक बतायी गयी। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ऑक्सीजन पर आपका झगड़ा खत्म हो गया हो तो थोड़ा काम कर लें? आइए मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाते हैं कि तीसरी लहर में किसी को ऑक्सीजन की कमी ना हो। दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन की भीषण कमी हुई।
ऑक्सिजन पर आपका झगड़ा खतम हो गया हो तो थोड़ा काम कर लें?
आइए मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाते हैं कि तीसरी वेव में किसी को ऑक्सिजन की कमी ना हो। दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सिजन की भीषण कमी हुई।अब तीसरी लहर में ऐसा ना हो।
आपस में लड़ेंगे तो करोना जीत जाएगा। मिलकर लड़ेंगे तो देश जीतेगा
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 26, 2021
अब तीसरी लहर में ऐसा ना हो। आपस में लड़ेंगे तो कोरोना जीत जाएगा। मिलकर लड़ेंगे तो देश जीतेगा।’’ आप के नेताओं ने भाजपा पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट ‘गढ़ने’ का आरोप लगाया, वहीं भगवा पार्टी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ‘आपराधिक लापरवाही’ की। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यालय में ‘‘भ्रामक’’ और ‘‘फर्जी’’ रिपोर्ट तैयार की गयी और इसे केंद्र ने शीर्ष अदालत में पेश किया। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ बतायी और 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का दावा किया, जो 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता से चार गुना अधिक थी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘‘गलत फॉर्मूले’’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 मीट्रिक टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन के लिए दावा किया। दो सदस्यों दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) बी एस भल्ला और मैक्स हेल्थकेयर के क्लीनिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नतीजे पर सवाल उठाए। भल्ला ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी और 30 मई को उनसे साझा की गयी 23 पन्ने की अंतरिम रिपोर्ट पर टिप्पणी की।
रिपोर्ट में 31 मई को भल्ला द्वारा भेजे गए पत्र का एक अनुलग्नक है, जिसमें उन्होंने कहा कि मसौदा अंतरिम रिपोर्ट को पढ़ने से यह ‘‘दुखद रूप से स्पष्ट’’ होता है कि उप-समूह कार्य पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय छह मई के उच्चतम न्यायालय के आदेश की शर्तों का पालन नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि उप समूह ने जिस तरह कार्यवाही की इससे संकेत मिलता है कि कार्यवाही का उद्देश्य पहले से सुनियोजित और तय निष्कर्ष तक पहुंचना और दिल्ली को चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कम मात्रा की सिफारिश करना था। भल्ला ने कहा कि यह भी दिखाने का प्रयास किया गया कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के समक्ष दिल्ली सरकार का आकलन वास्तविक नहीं था और बढ़ा चढ़ाकर मांग दिखायी गयी। उन्होंने अपने नोट में कहा कि यह कहने का कोई फायदा नहीं है कि इस तरह की कवायद शीर्ष अदालत के उस आदेश की ‘‘भावना, मंशा और उद्देश्य’’ को आगे नहीं बढ़ाती है, जिसके तहत उप-समूह का गठन किया गया था। भल्ला ने उप-समूह के इस निष्कर्ष पर भी आपत्ति जताई कि अप्रैल के अंत में भर्ती मरीजों के हिसाब से चिकित्सकीय ऑक्सीजन की खपत 250 टन, मई के पहले सप्ताह में 470-490 मीट्रिक टन और 10 मई को दावा के अनुसार 900 मीट्रिक टन थी।