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Kawasi Lakhma on CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के कार्यकाल में हुए कथित शराब घोटाले को लेकर शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ताबड़तोड़ छापेमारी की।
ED की टीम ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरिश कवासी, सुकमा नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू, और लखमा के करीबी सुशील देवांगन समेत कई लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। इस छापेमारी को लेकर कवासी लखमा का बड़ा बयान सामने आया है।
ये छापेमारी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित: लखमा
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कवासी लखमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये छापेमारी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में सवाल उठाने और सरकार को घेरने के कारण ही उनके घर पर छापेमारी की गई।
लखमा ने आगे कहा कि वे अनपढ़ हैं, और अधिकारियों ने उनका फायदा उठाकर घोटाले से जुड़ी जानकारी छिपाई। उन्हें इस घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और जब उनसे संपत्ति की जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने समय मांगा है। वे सभी जानकारी देंगे।
मेरे पास केवल चार एकड़ जमीन: लखमा
लखमा ने बताया कि जब ED के अधिकारी उनके घर पहुंचे, तो उनके घर से कुछ भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली। उन्होंने कहा कि उनके पास केवल चार एकड़ जमीन है, जो उनके पूर्वजों से प्राप्त हुई है, और मंत्री बनने के बाद उन्होंने कोई नई संपत्ति नहीं खरीदी।
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पूर्व मंत्री कवासी लखमा के बेटे के घर ED ने मारी रेड[/caption]
लखमा ने घोटाले का मास्टर माइंड एपी त्रिपाठी को बताया
शराब घोटाले के सवाल पर लखमा ने कहा कि वे अनपढ़ हैं और एपी त्रिपाठी मास्टर माइंड हैं, जो घोटाले से संबंधित दस्तावेजों पर साइन करवाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि यह छापेमारी नगरीय निकाय चुनाव को प्रभावित करने के लिए उन्हें बदनाम करने की साजिश है। लखमा ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस घोटाले से एक भी रुपया नहीं मिला है और उन्होंने घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
क्या है यह मामला?
ED की जांच में यह सामने आया है कि छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले में कई नेताओं और अधिकारियों का हाथ था। जांच में पाया गया कि यह अवैध सिंडिकेट सरकार के इशारों पर काम कर रहा था, और तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इसकी जानकारी थी।
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शराब घोटाले में आरोपी एपी त्रिपाठी[/caption]
एफआईआर में लखमा का नाम भी शामिल है, और आरोप है कि उन्हें हर महीने 50 लाख रुपए का कमीशन मिलता था। इस मामले में एपी त्रिपाठी, जो पहले आबकारी विभाग के विशेष सचिव थे, पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। फिलहाल वे जेल में हैं और उनकी जांच चल रही है।
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