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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर क्या नई छलनी खरीदना जरूरी है या पुरानी छलनी कर सकते हैं यूज, क्या कहते हैं ज्योतिष

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर क्या नई छलनी खरीदना जरूरी है या पुरानी छलनी कर सकते हैं यूज, क्या कहते हैं ज्योतिष karwa-chauth-2025-date-puja-time-purani-vrs-nai-chhalni-chand-kab-niklega-katha-samagri-hindi-news-pds

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Preeti Dwivedi
Karwa Chauth 2025 Purani Chhalni vr Nai Chhalni puja date time

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Karwa Chauth 2025:  विवाहित महिलाओं का खास त्योहार करवाचौथ इस साल 10 अक्टूबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। ऐसे में यदि आप भी करवाचौथ का व्रत रखने वाली हैं और इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं कि करवा चौथ पर पुरानी छलनी से पूजा कर सकते हैं या नई छलनी खरीदना जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं कि करवा चौथ पूजा के नियम क्या हैं, साथ ही जानते हैं कि करवा चौथ पूजा सामग्री क्या हैं।

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करवा चौथ पूजा सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri List)

Karwa Chauth 2025 Purani Chhalni vr Nai Chhalni kon si karna chahiye use

अक्षत
गंगाजल
दूध
शक्कर
शुद्ध घी
दही
मिठाई
शहद
धूप
पानी का लोटा
गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
कपूर
गेहूं
शक्कर
हल्दी
लकड़ी की चौकी
दीपक
रुई
चलनी
आठ पूरियों की अठावरी
सिंदूर
मेहंदी
महावर
कंघा
बिंदी
चुनरी
चूड़ी और बिछुआ

चांद को अर्घ्य देते समय क्या बोलना चाहिए?

करवा चौथ की पूजा में चांद को अर्घ्य देते समय

"ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:" या "ॐ सोमाय नमः"

मंत्र बोलना चाहिए। इसके अलावा पति के जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए आप चंद्रमा को सफेद फूल या वस्त्र अर्पित करते समय अपने पति का नाम भी ले सकती हैं। इसके बाद

"क्षीरोदार्णवसम्भूताय आत्रेयगोत्रसमुद्भव:। गृहाणार्घ्यं शशांकेदं रोहिण्यसहितो मम।"

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की रक्षा स्तुति करना चाहिए।

चंद्रमा को जल कैसे चढ़ाना चाहिए

करवा चौथ पर चांद को जल अर्पित करते समय एक हाथ में साबुत सुपारी, पान का पत्ता और अपने बालों का एक कोना लेकर दूसरे हाथ से चंद्रमा को जल अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि चांदी के बर्तन में थोड़ा पानी और दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्यक्ति को अपने जीवन में कई लाभ मिलते हैं।

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

पौराणिक कथा के मुताबिक, बहुत समय पहले एक साहूकार हुआ था. उसके सात बेटे और एक बेटी थी. सातों बेटे और बेटी विवाहित थे. करवा चौथ के दिन उसकी सातों बेटों की पत्नियाँ और बेटी ने व्रत रखा. शाम को जब साहूकार और उसके बेटे खाने बैठे तो उन्होंने देखा कि उनकी बहन व्रत के कारण बहुत भूखी और कमजोर लग रही है. वे अपनी बहन की हालत देख नहीं पाए और उसे खाना खाने के लिए कहा. इस पर बहन ने मना करते हुए कहा कि “मैं तो चाँद निकलने के बाद ही व्रत खोलूँगी, अभी आप सब खा लीजिए.”

काफी देर हो गई, लेकिन चाँद नहीं निकला. सभी भाई बहन को इस तरह देखकर परेशान हो गए. बहन के प्रति प्रेमवश भाइयों ने बहन को भोजन कराने के लिए एक तरकीब निकाली. वे नगर के बाहर गए और दूर जाकर आग जला दी. आग की रोशनी देखकर उन्होंने बहन से कहा, “देखो बहन, चाँद निकल आया है, तुम अब जल्दी से भोजन ग्रहण कर व्रत खोल लो.”

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इन सब से अनजान बहन ने अपने भाइयों की बातों पर विश्वास कर लिया और आग की रोशनी को चाँद समझकर अपना व्रत तोड़ लिया. लेकिन इस छल के कारण बहन का पति बीमार पड़ गया और घर का सारा धन उसके इलाज में खर्च हो गया.

इसके बाद भाइयों को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने पूरी सच्चाई अपनी बहन को बताई. तब बहन ने पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की और क्षमा मांगी. उसकी सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया, जिसके बाद उसका पति स्वस्थ हो गया.

करवा चौथ में क्या पुरानी छलनी उपयोग कर सकते हैं

ज्योतिषचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पूजा में उपयोग होने वाली कोई भी चीज शुद्ध होना चाहिए। ऐसे में यदि आप भी पूजा के लिए नई छलनी नहीं खरीदना चाहते हैं तो बिना उपयोग की हुई पुरानी छलनी को अच्छे से धोकर उसे चंदन से पूजा करके उपयोग किया जा सकता है। गौरतलब है कि हर साल छलनी खरीदने से वे इकट्ठी हो जाती है। उनका ज्यादा उपयोग नहीं हो पाता तो ऐसे में पुरानी छलनी को शुद्ध करके उपयोग किया जा सकता है।

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चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त

चौघड़िया योगसमय अवधिप्रकार / विवरण
लाभ योगरात 9:00 बजे से 10:30 बजे तकशुभ चौघड़िया, कार्य सिद्धि के लिए उत्तम
रोग योगशाम 6:00 बजे से 7:30 बजे तकअशुभ चौघड़िया, कार्य आरंभ न करें
काल योगशाम 7:30 बजे से 9:00 बजे तकअत्यंत अशुभ चौघड़िया, कार्य टालें
करवाचौथ पर चंद्रोदय का समयशाम 7:57 बजे सेव्रत खोलने का समय

इन दो योगों में भूलकर भी न करें पूजन

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार रोग और काल योग में भूलकर भी पूजा नहीं करनी। ये योग या समय पूजा के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। महिलाएं इससे पहले शाम 6 बजे से पूजन जमाना शुरू करें। इसके बाद कथा आदि सुनकर चंद्रोदय में पूजन करके व्रत संपूर्ण करें।

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