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Karwa chauth 2020: इस दिन सुहागिनें रहेंगी करवा चौथ का व्रत, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

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Pooja Singh
Karwa chauth 2020: इस दिन सुहागिनें रहेंगी करवा चौथ का व्रत, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

Karwa chauth 2020: सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ (Karwa Chauth) का विशेष महत्व होता है। पूरे साल महिलाएं को इस दिन का बेशब्री से इंतजार करती हैं। करवा चौथ वाले दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और रात में चांद की पूजा करने के बाद वो अपने पति का चेहरा देखते हुए अन्न और जल ग्रहण करती हैं।

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करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

इस साल करवा चौथ का व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा। 4 नवंबर को सुबह 03 बजकर 24 मिनट पर यह व्रत शुरू हो रहा है, जिसका समापन 05 नवंबर को सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस दिन करवा चौथ की पूजा का मुहूर्त 1 घंटा 18 मिनट के लिए शाम में बन रहा है।

करवा चौथे की पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत दिनभर रखा जाता है। इस व्रत में रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है। मां पार्वती की प्रतिमा की स्थापना करने के बाद पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है। सुहागिने चंद्रमा की पूजा करने के बाद छलनी से अपने पति को देखती हैं। जिसके बाद उनके पति उन्हें जल ग्रहण करवाते हैं और उनका व्रत टूटता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं। इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद तुरंत उसी छलनी से पति को देखा जाता है। करवा चौथ खासतौर पर पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा और मध्यप्रदेश में मनाया जाता है।

करवा चौथ की मान्यता

करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं। बताया जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया। यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग दिया। वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त कोई और वर मांग लो। तब उन्होंने यमराज से कई संतानों की मां बनने का वर मांगा। जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। वहीं अपने वचन में बंधने के कारण यमराज एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को नहीं लेकर जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया। कहा जाता है कि तब से सुहागिने अन्न-जल का त्यागकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।

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