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Karnataka Private Job Reservation: कर्नाटक में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही मिलेगी प्राइवेट नौकरी, सरकार के फैसले पर बवाल

Karnataka Private Job Reservation: कर्नाटक में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही प्राइवेट नौकरी मिलेगी। प्रदेश सरकार इसे लेकर कानून लाई है।

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Rahul Garhwal
Karnataka Private Job Reservation: कर्नाटक में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही मिलेगी प्राइवेट नौकरी, सरकार के फैसले पर बवाल

हाइलाइट्स

  • कर्नाटक में लोकल को प्राइवेट जॉब
  • स्थानियों को 100 प्रतिशत रिजर्वेशन
  • लोकल लोगों के लिए कर्नाटक में कानून
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Karnataka Private Job Reservation: कर्नाटक में स्थानीय लोगों को 100 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री सिध्दारमैया ने कहा कि मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र में ग्रुप-C और D के पदों पर कन्नड़ लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण लागू करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। वहीं इस फैसले को लेकर देशभर में बवाल मच गया है।

'हम कन्नड़ समर्थक सरकार'

मुख्यमंत्री सिध्दारमैया ने कहा कि हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है। हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को कन्नड़ भूमि में नौकरियों से वंचित न होना पड़े। उन्हें अपनी मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए।

गुरुवार को विधानसभा में पेश होगा बिल

कर्नाटक में लोकल को आरक्षण देने वाले बिल का नाम Karnataka State Employment of Local Candidates in the Industries, Factories and Other Establishments Bill 2024 है। इसे गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में पेश किया जाएगा।

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बिल में क्या है ?

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के बिल में लिखा है कि अब राज्य में काम करने वाली निजी कंपनियों को अपने यहां भर्तियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देनी होगी। ग्रुप-C और ग्रुप-D की नौकरियों में 100 प्रतिशत आरक्षण देना होगा। मतलब ये नौकरियां सिर्फ कन्नड़ लोगों के लिए रहेंगी।

मैनेजर या मैनेजमेंट लेवल की पोस्ट पर लोकल को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। आधे पदों पर कन्नड़ लोगों की भर्ती होगी।

गैर-मैनेजमेंट वाली जॉब में 75 प्रतिशत रिजर्वेशन कन्नड़ लोगों के लिए होगा।

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C और D कैटेगरी की नौकरियां

कर्नाटक में ग्रुप-D कैटेगरी की नौकरी में चपरासी, ड्राइवर, क्लीनर, माली, गार्ड, बार्बर और रसोइया आते हैं। वहीं ग्रुप-C में असिस्टेंट क्लर्क, स्टेनोग्राफर, टैक्स असिस्टेंट, हेड क्लर्क, मल्टी टास्किंग स्टाफ, स्टोर कीपर और कैशियर जैसी पोस्ट आती हैं। इसके साथ ही टेक्निकल और नॉन- टेक्निकल पोस्ट भी इसी कैटेगरी में आती हैं।

कौन हैं लोकल ?

कर्नाटक में जन्म लेने वाला। 15 सालों से कर्नाटक में रहने वाला। कन्नड़ बोलने, पढ़ने और लिखना जानता हो।

अगर कैंडिडेट के पास कन्नड़ भाषा का माध्यमिक विद्यालय का प्रमाण पत्र नहीं है, तो उसे 'नोडल एजेंसी' की ओर से ली जाने वाली कन्नड़ प्रवीणता परीक्षा पास करनी होगी।

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अगर योग्य स्थानीय अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं, तो कंपनियों को सरकार या उसकी एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से 3 साल के अंदर उन्हें ट्रेंड करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

छूट के लिए आवेदन कर सकती हैं प्राइवेट कंपनियां

अगर स्थानीय कैंडिडेट्स उपलब्ध नहीं हैं। तो कंपनी नियमों के प्रावधानों में छूट के लिए सरकार से आवेदन कर सकती है। सरकार की नोडल एजेंसी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के रिकॉर्ड की जांच करेगी। स्टाफ के बारे में जानकारी लेगी। अगर कोई भी कंपनी प्रावधानों का उल्लंघन करेगी तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

कर्नाटक सरकार के फैसले पर इंडस्ट्री लीडर्स ने जताई चिंता

कांग्रेस सरकार के लोकल के लिए लाए कानून को लेकर प्राइवेट उद्यमियों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से निजी फर्मों को स्किल लेबर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ इस फैसले पर कहा कि इस नीति से तकनीक के क्षेत्र में राज्य का टॉप पॉजिशन प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने टेक्नॉलजी ड्रिवेन और उच्च क्षमता वाली नौकरियों के लिए इस नियम से छूट की मांग की है।

बिजनेसमैन टीवी मोहनदास पाई ने इस नीति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण को अनिवार्य करने के बजाय स्किल डेवलपमेंट पर और ज्यादा खर्च करना चाहिए।

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कर्नाटक में काम करते हैं दूसरे राज्यों के लाखों युवा

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु आई हब है। यहां पर कॉल सेंटर, BPO और स्टार्ट अप के क्षेत्र में दूसरे राज्यों के लाखों युवा काम करते हैं। सरकार के नए कानून से दूसरे राज्यों के कई लोगों को परेशानी हो सकती है।

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