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Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा हैं. करीब एक हफ्ते के बाद 10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी और 13 मई को रिजल्ट जारी किया जाएगा. इसके लिए निर्वाचन आयोग की तरफ से तैयारियां भी पूरी कर ली गई है. इस चुनाव में खास बात यह है कि पहली बार "वोट-फ्रॉम-होम" की शुरूआत करने के बाद चुनाव आयोग ने वोटिंग से पहले ही रविवार यानी आज 30 अप्रैल से इस अभियान की शुरूआत कर दी है.
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कर्नाटक में 'वोट फ्रॉम होम' की शुरुआत
चुनाव आयोग की तरफ से 'वोट-फ्रॉम-होम' के जरिये कर्नाटक के 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों और विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अपने घर पर ही रहकर मतदान करने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए चुनाव आयोग की 5 सदस्यीय टीम के साथ मतदान एजेंट भी ऐसे घरों का दौरा करेंगे, जहां पर बुजुर्ग या फिर ऐसा कोई भी सदस्य जो मतदान केंद्र पर जाकर वोटिंग नहीं कर पायेगा. ऐसे में ये टीम उनके घर जाकर उस व्यक्ति का वोट लेकर आयेगी. तो वहीं बता दें कि इस दायरे में आने वाले सभी मतदाता इस प्रक्रिया के माध्यम से 6 मई तक ही मतदान कर सकेंगे.
ऐसे मतदाताओं को अपने घर पर रहते हुए ही मतदान की सारी सुविधा मिलेगी. साथ ही वे अपनी स्वेच्छा से बैलेट पेपर के माध्यम से वोट कर सकते हैं. इसके लिए चुनाव आयोग ने पोलिंग एजेंटों की 5 सदस्यीय टीम नियुक्त की है. इस टीम में दो मतदान अधिकारी, एक ऑब्जर्वर और पार्टी एजेंटो के साथ पुलिस दल भी शामिल रहेगा. मतदान पूरा होने के बाद बैलेट बॉक्स को सुरक्षित स्ट्रांग रुम में रख दिया जायेगा.
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वोटिंग के समय होगी वीडियोग्राफी
इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए एक वीडियोग्राफर भी नियुक्त किया गया है. घर पर वोटिंग के समय सभी की पूरी वीडियोग्राफी की जाएगी. प्रत्येक वार्ड में अलग-अलग टीमें इन व्यक्तियों के घरों में बैलेट पेपर लेकर जाएंगी, फिर उनके वोट एकत्र करेंगी. इसके लिए उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंटों को पहले ही सूचित कर दिया जाएगा.
अगर हम कर्नाटक के बुजुर्ग मतदाताओं की बात करें तो मतदाता सूची के अनुसार, 80 से 99 वर्ष के करीब इस लिस्ट में 12.2 लाख बुजुर्ग शामिल हैं. तो वहीं, बुजुर्गों के अलावा दिव्यांग लोगों की संख्या भी करीब 5.6 लाख के करीब है. इसके अलावा 16 हजार से अधिक मतदाता 100 साल से अधिक उम्र के हैं. हालांकि, इसमें गौर करने वाली बात ये भी हैं कि पहले दिन सिर्फ 5 प्रतिशत से भी कम लोगों ने "वोट-फ्रॉम-होम" सुविधा का लाभ उठाया है.
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