Karila Dham: भोपाल। रामायण के अनुसार बताया जाता है कि मप्र के अशोकनगर जिले में माता सीता ने वाल्मीकि आश्रम में अपने दोनों पुत्र लव-कुश को जन्म दिया था। वाल्मीकि जी का यह आश्रम अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील के करीला गांव में स्थित है। माना जाता है की रंग पंचमी के दिन भगवान राम के दोनों पुत्रों का जन्म यहीं पर हुआ था। रंगपंचमी के मौके पर भगवान राम के दोनों पुत्र लव कुश के जन्म को लेकर करीला धाम में राई नृत्य के साथ खुशियां मनाई जाती है।
नाचती है बेड़नियां
माना जाता कि करीला में महर्षि वाल्मीकि ने लवकुश के जन्मदिन को बडे धूमधाम से मनाया था। इस उत्सव में बेड़िया जाति की हजारों नृत्यांगनाएं जमकर नाची थीं। तब से यह प्रथा आज तक निभाई जा रही है। यही नहीं अब तो लोग यहां मन्नत पूरी होने पर भी राई नृत्य करवाते हैं। माता सीता के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इसके बाद लोग यहां राई नृत्य करवाते हैं। कहा जाता है कि यहां नि:संतान दंपती की झोली माता सीता भर देती हैं। इसके बाद लोगों को यहां बेड़निया नचाना होता है।
कौन है बेड़िया जनजाति की नाचने वाली महिलाएं?
बेड़िया जनजाति देश विदेश में अपने राइ नृत्य के कारण प्रसिद्ध है। बुंदेली लोक नृत्य में इस जनजाति की स्त्रियां जिन्हें बेड्नी भी कहा जाता है वे बाध्य यंत्रो के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते है। परम्पराओं और रीतिरिवाजो को अपने में समेटे बेड़िया जनजाति के दो पहलु हैं। पहला समृद्ध रीतिरिवाज और दूसरा राइ नृत्य से जुड़े ये कलाकार आज बदहाली का शिकार है। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी वैश्यावृत्ति के चंगुल से बाहर नहीं आ पा रहें है इन्हें यहां से बाहर निकालना शासन और प्रशासन के लिए एक समस्या का विषय बन गया है।
दुनिया में सीता माता का एकमात्र मंदिर
करीला धाम का मंदिर दुनिया में एक मात्र सीता माता का मंदिर है। सबसे खास बात यह है कि मंदिर में भगवान राम विराजमान नहीं है। मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। लोग यहां से भभूति लेकर अपने घर जाते हैं। माना जाता है कि भभूति खेत में कीटाणुनाशक और इल्लीनाशक का भी काम करती है। करीला धाम हर साल यहां रंगपंचमी के मौके पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है।