Captain Saurabh Kalia : देश के रक्षा के लिए भारत के ऐसे कई वीर हुए जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। कुछ भारत मां के सपूत ऐसे भी हुए जिन्होंने कम उम्र में ही देश की रक्षा करते अपने प्राण त्याग दिए। आज हम एक ऐसे ही एक सैनिक की बात कर रहे है जिनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। हम बात कर रहे हैं कैप्टेन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) की। सौरभ कालिया महज 22 साल की उम्र में ही शहीद हो गए थे। कैप्टेन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) के जोश, उनके पराक्रम उनका जज्बा आज के सैनिकों के लिए एक मिशाल है।
कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) का जन्म 29 जून 1976 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। कारगिल युद्ध के दौरान सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) दुश्मनों से जंग लड़ते 9 जून 1999 को शहीद हो गए थे। बात उस समय की है जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ था। उस समय सैनिकों की तैनाती बढ़ाई जा रही थी। ऐसे में सैनिकों को कारगिल पर भेजा जा रहा था। कैप्टन सौरभ (Captain Saurabh Kalia) कारगिल को भी कारगिल युद्ध के लिए भेजा गया। जब सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) कारगिल युद्ध पर जा रहे थे तब अमृतसर रेलवे स्टेशन कालिया का परिवार उन्हें छोड़ने आया था। बताया जाता है कि जब सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) युद्ध पर जा रहे थे तब उन्होंने अपनी मां से कहा था कि मां ऐसा काम करके आऊंगा कि सारी दुनिया याद करेगी। लेकिन किसी को नहीं पता था की यह मुलाकात उनकी अंतिम मुलाकात थी। सौरभ (Captain Saurabh Kalia) की बात सुनकर उनकी मां ने कहा कि बेटा कहीं रेलगाड़ी में ही मत सो जाना।
पहली पोस्टिंग कारगिल पर
कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) ने 12वीं की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय, होल्टा में की थी। उसके बाद उन्होंने कृषि विवि पालमपुर में बीएससी की पढ़ाई की। बीएससी और एम.एड करने के बाद सौरभ (Captain Saurabh Kalia) ने सेना में जाने का फैसला लिया। 12 दिसंबर 1998 को इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें 4 जाट रेजीमेंट में तैनाती मिली। सौरभ (Captain Saurabh Kalia) की पहली पोस्टिंग ही कारगिल सेक्टर में हुई थी। सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) के पिता बताते है कि उनका बेटा अपनी पहली पोस्टिंग को लेकर बहुत खुश था।
घुसपैठियों ने बनाया बंदी
कारगिल में पोस्टिंग के दौरान कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) 05 मई 1999 को अपने पांच साथियों के साथ बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। इसी दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों ने उन्हें बंदी बना लिया। कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) सहित उनके साथियों को 22 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दी गई। बताया जाता है कि कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) और उनके सहयोगियों को लोहे की गर्म सलाखों और सिगरेट से दागा गया। उनकी आंखें निकाली दी गई। उनके कान को भी सलाखों से दागा गया।
सौरभ का शव देख मां हुई बेहोश
कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) का शव जब उनके पैतृक आवास पहुंचा तो उसे देखकर उनकी मां बेहोश हो गई थीं। बेटे की इस हालत ने उनकी मां को तोड़कर रख दिया था। भारतीय सेना में शामिल हुए कैप्टन के अभी 4 महीने ही बीते थे। परिवार वालों का उन्हें यूनिफॉर्म में देखने का सपना अधूरा ही रह गया। कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) यूनिफॉर्म में अपने परिवार से न तो मिल सके और न ही अपनी पहली सैलरी देख पाए। कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) का शव बर्फ में दबा हुआ मिला था। कैप्टन कालिया (Captain Saurabh Kalia) सहित पांच जवानों के साथ जो कुछ भी हुआ वह जेनेवा संधि का उल्लंघन था, मगर तब भारत सरकार की ओर से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में लड़ने से इनकार कर दिया गया। कैप्टन सौरभ कालिया (Captain Saurabh Kalia) के मामले को उनके पिता डॉ. एनके कालिया ने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उठाया था। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।