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कानपुर डिप्टी SP ऋषिकांत शुक्ला सस्पेंड: अखिलेश दुबे की दरबारी कर बनाई 100 करोड़ की बेनामी संपत्ति, SIT जांच में खुलासा

DSP Rishikant Shukla Suspended: अखिलेश दुबे केस में बड़ा खुलासा - डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को 100 करोड़ की बेनामी संपत्ति और कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिए काली कमाई को सफेद करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

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Shaurya Verma
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हाइलाइट्स

  • डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला 100 करोड़ संपत्ति केस में सस्पेंड
  • SIT जांच में काली कमाई और बेनामी संपत्तियों का खुलासा
  • अखिलेश दुबे कनेक्शन से कानपुर पुलिस में मचा हड़कंप
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DSP Rishikant Shukla Suspended: कानपुर में चल रहे अखिलेश दुबे प्रकरण (Akhilesh Dubey Case) में बड़ी कार्रवाई हुई है। डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला (DSP Rishikant Shukla) को 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति (Benami Property) और कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिए काली कमाई (Black Money) को सफेद करने के आरोप में निलंबित (Suspended) कर दिया गया है। यह कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी मानी जा रही है।

अखिलेश दुबे से रिश्तों ने फंसाया ऋषिकांत शुक्ला 

[caption id="" align="alignnone" width="1058"]publive-image रवि सतीजा और अखिलेश दुबे[/caption]

SIT जांच (SIT Investigation) में सामने आया है कि डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला, विवादित कारोबारी अखिलेश दुबे (Akhilesh Dubey) के बेहद करीबी थे। आरोप है कि दोनों ने मिलकर एक 100 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई, जिसके जरिए जमीनों की खरीद-फरोख्त और मनी लॉन्ड्रिंग का खेल चलाया जाता था।

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इस कंपनी में ऋषिकांत की पत्नी प्रभा शुक्ला, सीओ विकास पांडेय का भाई प्रदीप कुमार पांडेय, डिप्टी एसपी संतोष कुमार सिंह का रिश्तेदार अशोक कुमार सिंह, और अखिलेश दुबे के परिजन साझेदार थे। कंपनी कंस्ट्रक्शन (Construction Company) के नाम पर अवैध रूप से अर्जित धन को वैध रूप में बदलने का माध्यम बनी हुई थी।

12 ठिकानों पर 92 करोड़ की संपत्ति मिली 

[caption id="" align="alignnone" width="1052"]publive-image संतोष सिंह सीओ[/caption]

SIT की रिपोर्ट (SIT Report on Rishikant Shukla) के अनुसार ऋषिकांत शुक्ला, उनके परिवार और साझेदारों के नाम पर 12 स्थानों पर करीब 92 करोड़ की संपत्ति मिली है। इसके अलावा तीन और संपत्तियां ऐसी हैं जिनके अभिलेख मौजूद नहीं हैं, लेकिन जांच में पाया गया कि वे भी ऋषिकांत के पैन से जुड़ी हैं।

सूत्रों के मुताबिक, आर्यनगर में 11 दुकानें भी उनके पड़ोसी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं, पर वास्तव में वह भी ऋषिकांत शुक्ला की बेनामी संपत्ति मानी जा रही हैं।

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100 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी के जरिए काली कमाई का खेल 

[caption id="" align="alignnone" width="1050"]publive-image विकास पांडेय सीओ[/caption]

SIT जांच में सामने आया कि अखिलेश दुबे (Akhilesh Dubey) के करीबी अफसरों ने मिलकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई थी, जिसका सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से अधिक था। इस कंपनी के जरिए सरकारी अधिकारियों ने अवैध कमाई को वैध दिखाने का काम किया।

जांच एजेंसियों का कहना है कि इस कंपनी के प्रोजेक्ट्स (Real Estate Projects in Kanpur) में अधिकतर निवेश रिश्वत और अवैध वसूली से कमाए गए पैसों से किया गया था।

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SIT के नोटिस पर नहीं हुए पेश 

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SIT (Special Investigation Team) ने इस मामले में सीओ विकास पांडेय, डिप्टी एसपी संतोष कुमार सिंह, महेंद्र कुमार सोलंकी, और कश्यप कांत दुबे को भी नोटिस जारी किया था। लेकिन नोटिस के बावजूद इनमें से कोई भी अधिकारी जांच टीम के सामने पेश नहीं हुआ।

जांच एजेंसियों का कहना है कि सभी को डर था कि कहीं अखिलेश दुबे और इंस्पेक्टर सभाजीत की तरह इन्हें भी पूछताछ के बाद गिरफ्तार न कर लिया जाए।

शासन ने की बड़ी कार्रवाई, विजिलेंस जांच भी शुरू 

[caption id="" align="alignnone" width="1051"]Kanpur Akhilesh courtiers proved to be too much for Rishikant when will the rest of the peoples turn come अखिलेश दुबे के साथ पुलिसकर्मी[/caption]

सोमवार को शासन (UP Government) ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया। साथ ही, विजिलेंस जांच (Vigilance Inquiry) भी शुरू कर दी गई है।
कानपुर पुलिस कमिश्नर ने 10 और 15 सितंबर को एडीजी प्रशासन को जांच रिपोर्ट भेजी थी, जिसके आधार पर शासन ने कार्रवाई की।

ऋषिकांत शुक्ला का लंबा कार्यकाल और नेटवर्क

ऋषिकांत शुक्ला (Rishikant Shukla Kanpur) लगभग 10 वर्षों से अधिक समय तक कानपुर में तैनात रहे। वह पहले 1998 से 2006 तक और फिर दिसंबर 2006 से 2009 तक तैनात रहे।
इस दौरान उन्होंने अखिलेश दुबे गिरोह (Akhilesh Dubey Gang) के साथ मिलकर कई फर्जी मुकदमे, वसूली, और जमीन कब्जा करने के मामलों में अहम भूमिका निभाई।

कब आएगी बाकी की बारी?

SIT जांच में कई नाम अभी जांच के घेरे में हैं — जिनमें विकास पांडेय, संतोष कुमार सिंह, महेंद्र कुमार सोलंकी और कश्यप कांत दुबे शामिल हैं। सभी पर अखिलेश दुबे के “दरबारी” होने का आरोप है।

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