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रिपोर्ट- अनुराग श्रीवास्तव- कानपुर
हाइलाइट्स
- 6.5 लाख रुपये की राशि वापस करने का नोटिस जारी
- वेतन से 20% कटौती की चेतावनी दी
- शासन ने जीवन रक्षा निधि के तहत 6.5 लाख रुपये दिए थे
Kanpur Bikru Case: बिकरू हत्याकांड (2 जुलाई 2020) में घायल हुए पांच पुलिसकर्मियों को शासन द्वारा इलाज के लिए दी गई 6.5 लाख रुपये की राशि वापस करने का नोटिस जारी किया गया है। पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से 26 मई 2025 को जारी इस नोटिस में 15 दिनों के भीतर राशि जमा करने या वेतन से 20% कटौती की चेतावनी दी गई है। इस आदेश से पुलिसकर्मी परेशान हैं और उन्होंने ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (जेसीपी) से मदद मांगी है।
क्या है पूरा मामला?
बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके गैंग ने पुलिस पर हमला किया था, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस हमले में घायल हुए पुलिसकर्मी कौशलेंद्र प्रताप सिंह, सुधाकर पांडेय, अजय कश्यप, शिव मूरत, और अजय सिंह को इलाज के लिए शासन ने जीवन रक्षा निधि के तहत 6.5 लाख रुपये दिए थे। जेसीपी आशुतोष कुमार ने बताया कि यह राशि एक अग्रिम ऋण के रूप में दी जाती है, जिसे इलाज के बाद कागजात जमा करने पर समायोजित या वापस करना होता है। कागजी कार्रवाई में कमी या नियमों का पालन न होने के कारण यह नोटिस जारी किया जाना वजह हो सकती है ।
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पुलिसकर्मियों की परेशानी
नोटिस मिलने के बाद पांचों पुलिसकर्मियों ने जेसीपी (हेडक्वार्टर) विनोद कुमार सिंह से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा कि जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने के बाद इस तरह का नोटिस उनके मनोबल को तोड़ने वाला है। जेसीपी ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया है और मामले की जांच का भरोसा दिलाया है।
सोशल मीडिया पर गुस्सा
एक्स पर कई यूजर्स ने इस नोटिस की कड़ी आलोचना की है। @User123 ने लिखा, "जो पुलिसकर्मी अपनी जान की बाजी लगाते हैं, उनके साथ ऐसा व्यवहार शर्मनाक है।" @TruthSeeker ने कहा, "सिस्टम की संवेदनहीनता का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता।"
क्या है जीवन रक्षा निधि?
जीवन रक्षा निधि पुलिसकर्मियों के इलाज के लिए तत्काल सहायता प्रदान करने की व्यवस्था है। यह राशि ऋण के रूप में दी जाती है, जिसे बाद में कागजात जमा करने और नियमों के पालन के आधार पर समायोजित किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में संचार की कमी या प्रशासनिक चूक के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ है।
अब आगे क्या होगा ?
पुलिसकर्मियों को सलाह दी गई है कि वे तुरंत अपने इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज जमा करें और पुलिस हेडक्वार्टर से स्पष्टीकरण मांगें। जेसीपी के आश्वासन के बाद उम्मीद है कि इस मामले का निष्पक्ष समाधान होगा। यह घटना प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और संवेदनशीलता की जरूरत को रेखांकित करती है।
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