नई दिल्ली। आज से कजलियां kajaliya news की शुरूआत हो चुकी है। वैसे तो कजलियां तीज 25 अगस्त यानि बुधवार को है। लेकिन पंडित ज्योतिषाचार्य रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार यह पर्व जन्माष्टमी तक मनाया जाता है। कजलियां एक ऐसा पर्व है जिसमें कजलियां यानि गेंहू के जवारों को अन्न का स़ाक्षी मानकर आपकी बैर मिटाया जाता है। सोमवार को महिलाओं ने एक दूसरे को भेंट करके बैर मिटाए।
गमी के घर में जाकर बांटते हैं शोक
जिस घर में मृत्यु हो जाती है इस दौरान उनके घर कजलियां लेकर kajaliya news जाया जाता है। उन्हें इन्हें भेंट किया जाता है। इसके अलावा जिनके आपसी बैर होते हैं वे भी इनसे बैर मिटाते हैं।
बुंदेली में कहावत है
कपट छोड़ ले कजलिया
झिलमिल खेलो फाग
एक बरस दो पर्व हैं
मन का मटन हार
यानी मन के बेर को मिटाने के लिए कजलिया दी जाती है। कजलिया भेंट करके दुख बांटते हैं। इससे दुख को सुख में बदलने का प्रतीक भी माना जाता है। यह सकारात्मक सोच का भी प्रतीक है। आपस की बैर मिटाने के लिए कजलिया को भेंट किया जाता है।इसका समापन जन्माष्टमी पर होगा।