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Kaam Ki Baat: सिम कार्ड की तरह पोर्ट होंगे डेबिट और क्रेडिट कार्ड, जानें Card Portability क्या है, RBI ने क्यों मांगी है राय

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Kaam Ki Baat: एक अक्टूबर से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड यूजर्स को अपनी पसंद का कार्ड नेटवर्क (जैसे वीजा, मास्टर, रूपे) चुनने का आप्शन दिया जा सकता है। यानी जिस तरह से आप अपना मोबाइल नंबर बिना बदले एक टेलीकॉम कंपनी से दूसरे टेलीकॉम कंपनी में स्विच कर लेते हैं, ठीक उसी प्रकार अब डेबिट और क्रेडिट कार्ड पोर्टेबिलिटी संभव हो पाएगी।

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RBI ने मांगी राय

RBI ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों और ग्राहकों के सामने प्रस्ताव रखा है। इसके लिए RBI ने ड्राफ्ट सर्कुलर पर बैंकों और ग्राहकों से 4 अगस्त 2023 तक सुझाव मांगे हैं। RBI का कहना है कि 'फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और प्री-पेड कार्ड किसी खास कार्ड नेटवर्क के लिए जारी नहीं करना है। उन्हें लोगों को अपनी पसंद से नेटवर्क चुनने का ऑप्शन देना है।

क्यों पड़ी कार्ड पोर्टेबिलिटी की जरूरत

मौजूदा समय की बात करें तो भारत में 5 कार्ड नेटवर्क कंपनियां हैं- वीजा, मास्टर कार्ड, रूपे, अमेरिकन एक्सप्रेस और डायनर क्लब। इन कंपनियों का अलग-अलग फाइनेंशियल संस्थानों के साथ टाइ-अप है। इस कारण ग्राहक को अपने पंसद का कार्ड नेटवर्क चुनने का ऑप्शन नहीं मिल पाता है।

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दुनिया की सबसे बड़ी कार्ड कंपनी है वीसा

आपको बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी कार्ड कंपनी वीसा है। 200 से ज्यादा देशों और टेरिटरी में इसका उपयोग किया जाता है। इस कार्ड का मार्केट कैपसिटी 489.50 बिलियन यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए है। वीसा के बाद दुनिया की दूसरी सबसे पॉपुलर कार्ड कंपनी मास्‍टरकार्ड है। मास्टरकार्ड का 150 देशों में उपयोग किया जा रहा है और इसका मार्केट कैपसिटी 372.55 बिलियन यानी करीब 30 लाख करोड़ रुपए है।

वीसा के जवाब में आया मास्टर कार्ड

सन 1958 में बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा अपना क्रेडिट कार्ड ‘बैंक अमेरिक कार्ड’ लॉन्‍च किया गया था, जिसे अब ‘वीसा’ के नाम से जाना जाता है। बैंक अमेरिका कार्ड के जवाब में इंटरबैंक कार्ड एसोसिएशन ने 1966 में अपना क्रेडिट कार्ड लॉन्‍च किया। जिसे ‘मास्‍टरचार्ज- द इंटरबैंक कार्ड’ के नाम से जाना गया। 1979 में मास्‍टरचार्ज का नाम बदलकर मास्‍टर कार्ड कर दिया गया।

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स्वदेशी कार्ड है RuPay

RuPay भारत का पहला घरेलू डेबिट और क्रेडिट कार्ड पेमेंट नेटवर्क है। यह नाम रुपे (Rupee) और पेमेंट (Payment) दो शब्दों से मिलकर बना है। विदेशी कार्ड नेटवर्क्स की मोनोपॉली को खत्म करने के लिए मार्च 2012 में इसे लॉन्च किया गया था।

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