Kaal Bhairav Jayanti 2023: भगवान शिव के 8 भैरव अवतारों में से एक खास काल भैरव की जयंती आज हैं। ज्योतिषाचार्य की माने तो आज के दिन खास उपाय करने से व्यक्ति को प्रेत बाधाओं और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। चलिए जानते हैं कौन से हैं उपाय।
वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था।
काल भैरव जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का पूजा का शुभ मुहूर्त (Kaal Bhairav Puja Shubh Muhurat) दिन में सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक है। तो वहीं रात में इसका शुभ मुहूर्त रात 11:44 मिनट से रात 12:39 मिनट तक रहेगा।
भगवान शिव का रौद्र रूप है काल भैरव
धार्मिक ग्रंथों में काल भैरव भगवान को शिव जी का रौद्र स्वरूप बताया गया है। भगवान के 8 रौद्र रूप हैं। जिसमें से काल भैरव भी एक रूप है।
क्यों खास हैं काल भैरव
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो काल भैरव सभी रूपों में सबसे खास माने जाते हैं। इनके पूजन के व्यक्ति को ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही यदि व्यक्ति को प्रेत बाधाओं का डर है तो उससे भी मुक्ति है।
अष्टमी तिथि मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार की रात 9:59 मिनट पर शुरू हो चुकी है। जिसकी समाप्ति कल बुधवार यानि 6 दिसंबर 2023 दिन बुधवार रात में 12:37 मिनट पर होगी।
उदया तिथि के अनुसार आज भैरव जयंती
हमारे हिंदू धर्म में कुछ व्रत त्योहारों को छोड़कर उदया तिथि शुभ मानी जाती है। भले ही अष्टमी तिथि सोमवार की शाम को आ गई है। लेकिन उदया तिथि के अनुसार ये आज यानि 5 दिसंबर को मनाई जा रही है।
कैसे प्रकट हुए काल भैरव
काल भैरव के प्रकट उत्सव को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार ब्रह्मा और भगवान विष्णु को लेकर यह बात छिड़ गई, कि दोनों में से कौन श्रेष्ठ है। जिसे लेकर सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु, शिव जी के पास पहुंचे थे।
उस समय सभी देवताओं ने इस बात का आपस में बैठ कर यह निष्कर्ष निकाला,कि महादेव सबसे श्रेष्ठ हैं, लेकिन ब्रह्मा जी को ये बात स्वीकार न हुई और उन्होंने शिव जी को श्रेष्ठ न बता कर साधारण देव कहा और अपशब्द भी कहा।
इस बात पर शिव जी को क्रोध आ गया और उस क्रोध के कारण उनके पांचवें रूद्र अवतार काल भैरव की उत्पत्ती हुई और क्रोध से भरे काल भैरव ने भोलेनाथ के अपमान का बदला ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक मुख काट कर लिया।
तब से ब्रह्मा जी के चार मुख ही हैं। इस तरह काल भैरव जी की उत्पत्ती हुई। जिसकी लोग सदियों से पूजा करते चले आ रहे हैं।
काल भैरव के सामने जलाएं चौमुखी दीपक
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार काल भैरव जयंती के दिन शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके अलावा इस दिन काल भैरव को सोमरस का भोग लगाना भी अच्छा होता है।
भगवान शिव के 8 भैरव अवतार
ज्योतिषाचार्य के अनुसार भगवान शिव के 8 भैरव अवतार बताए गए हैं। जिसमें से काल भैरव अवतार एक मुख्य अवतार है।
काल भैरव जयंती पूजा विधि
आज के दिन भगवान काल भैरव की पूजा शाम के समय करने का विधान है। इसके लिए सुबह स्नान के बाद शाम को विधि—विधान से पूजा करें। इसके अलावा फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि चीजें अर्पित करने भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। काल भैरव को सोमरस का पान कराना शुभ माना जाता है।
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