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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शनिवार को अपनी राष्ट्रीय टीम में फेरबदल करते हुए कर्नाटक के सी टी रवि और असम से लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया की राष्ट्रीय महासचिव पद से और पूर्व केंद्रीय
मंत्री राधामोहन सिंह की उपाध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी।
वहीं, भाजपा की तेलंगाना इकाई के पूर्व अध्यक्ष बंडी संजय कुमार और उत्तर प्रदेश से पार्टी के सांसद राधामोहन अग्रवाल को रवि और सैकिया की जगह नया महासचिव नियुक्त किया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश से ही पसमांदा मुसलमान
समाज से ताल्लुक रखने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को सिंह की जगह नया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।मंसूर वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) हैं। उन्हें
नयी टीम में शामिल करने के फैसले को पसमांदा मुसलमानों के लिए पार्टी की पहल का हिस्सा माना जा रहा है।
नयी सूची में ज्यादातर पदाधिकारियों को उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव के पद पर बरकरार रखा गया है। सूची में 13 उपाध्यक्ष, नौ महासचिव, संगठन महामंत्री बी एल संतोष और 13 सचिव शामिल हैं। सांसद विनोद सोनकर और हरिश
द्विवेदी के साथ ही सुनील देवधर को राष्ट्रीय सचिव पद से हटा दिया गया है। सोनकर और द्विवेदी उत्तर प्रदेश से लोकसभा सांसद हैं। देवधर ने त्रिपुरा में भाजपा को पहली बार सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद पार्टी में
उनका कद बढ़ा था।
उन्हें राष्ट्रीय सचिव के साथ ही आंध्र प्रदेश का सह-प्रभारी बनाया गया था।उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य सुरेंद्र नागर को सचिव के रूप में पार्टी की राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी के बेटे
अनिल एंटनी और असम से राज्यसभा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा को राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया है।उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद नरेश बंसल को पार्टी का नया सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया है। वह मध्य प्रदेश के सांसद सुधीर गुप्ता
की जगह लेंगे। गुप्ता गुजरात के सह-प्रभारी भी थे।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटाए गए राधामोहन सिंह के पास उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभार था, जबकि राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटाए गए सी टी रवि महाराष्ट्र, गोवा और तमिलनाडु के प्रभारी थे। सैकिया के पास अरुणाचल
प्रदेश का प्रभार था।भाजपा संगठन में प्रभारी और सह-प्रभारियों की भूमिका अहम होती है। वे पार्टी की प्रदेश इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कड़ी का काम करते हैं।
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