ऋषिकेश। उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किए जाने की सुगबुगाहट से चिंतित, वन्यजीव अभयारण्य पर आधारित पर्यटन व्यवसायियों का मानना है कि पार्क के नाम में परिवर्तन इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है।
व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात और सुस्थापित नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव व्यापक रूप से अपूरणीय क्षति का कारण बन सकता है। नैनीताल जिले के रामनगर में ‘कॉर्बेट होटल्स एन्ड रिसॉर्ट वेलयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष हरि सिंह मान ने कार्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलने से पहले सरकार से इस पर अच्छी तरह सोच विचार करने का आग्रह किया है।
मान ने कहा, ‘‘नाम बदलने से कॉर्बेट क्षेत्र से जुड़े हितधारकों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। आज पर्यटन अकेला आत्मनिर्भर उद्योग है। इस आत्मनिर्भर उद्योग के किसी भी बड़े सुस्थापित ‘आईकॉन’ के नाम में छेड़छाड़ से अर्थतन्त्र को भयंकर हानि होगी।’’ मान ने कहा कि 1936 में इस पार्क का नाम हैली राष्ट्रीय पार्क था और 1947 में इसे रामगंगा राष्ट्रीय पार्क कर दिया गया।
पार्क के नाम के पीछे की कहानी
वर्ष 1956 में प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी जिम कॉर्बेट के निधन के बाद इसे कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के नाम से जाना गया। उन्होंने कहा कि अब लगभग सात दशकों से कॉर्बेट में पर्यटन इतना विशाल आकर ले चुका है कि वर्तमान में इसका नाम बदलना यहां ‘आर्थिक सुनामी’ का कारण बन सकता है। कॉर्बेट सिटी रामनगर में पर्यटन कारोबार से जुड़े पवन पुरी ने कहा कि पर्यटन व्यवसाय के सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र होने के कारण कार्बेट पार्क का नाम बदलने की क़वायद बिल्कुल नामंजूर है। उन्होंने कहा कि कॉर्बेट का नाम बदलने से आर्थिक रूप से बड़ा झटका हितधारकों को ही लगेगा।
कार्बेट पार्क का नाम बदलकर रामगंगा किए जाने के संकेत तब मिले जब तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कार्बेट के अपने दौरे के दौरान धनगढ़ी गेट पर बने संग्रहालय के रजिस्टर पर लिखा कि कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम बदल कर लराम गंगा नेशन पार्क कर देना चाहिए। कार्बेट के निदेशक राहुल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने इस विषय पर अधिकारियों से बात भी की।