Advertisment

Siwgy to Deputy Collector: राजमिस्त्री का बेटा बन गया बड़ा अफसर, 5 घंटे रैपिडो चलाया, डिलीवरी बॉय से बने डिप्टी कलेक्टर

Siwgy to Deputy Collector: जंगलों और पहाड़ों में झारखंड के गिरडीह के रहने वाले सुरज यादव ने झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएसी) परीक्षा में सफलता पाई है। आर्थिक तंगी का बोझ इतना कि स्विगी और रैपिडो में डिलीवरी बॉय तक का काम किया

author-image
anurag dubey
Siwgy to Deputy Collector: राजमिस्त्री का बेटा बन गया बड़ा अफसर, 5 घंटे रैपिडो चलाया, डिलीवरी बॉय से बने डिप्टी कलेक्टर

हाइलाइट्स 

  • राजमिस्त्री का बेटा बना गया बड़ा
  • डिलीवरी बॉय से बने डिप्टी कलेक्टर
  • सूरज यादव ने (JPSC) परीक्षा पास की है। 
Advertisment

Siwgy to Deputy Collector: कहते हैं कि आज के दौर में राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, बनेगा वही जो इस दुनिया में काबिल है और इंसान के अंदर काबलियत होनी चाहिए, इतनी चाहिए कि उसे कुछ करने के लिए जिंदगी से जंग लड़नी पड़े, फिर जब डिप्टी कलेक्टर बनेगा तो समाज के लिए उदाहरण बनेगा।

हम बात कर रहे हैं झारखंड के सुरज यादव की, जिसने झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएसी) परीक्षा में सफलता पाई है। आर्थिक तंगी का बोझ इतना कि स्विगी और रैपिडो में डिलीवरी बॉय तक का काम किया, पिता राजमिस्त्री हैं। राजमिस्त्री का बेटा समाज के लिए उदाहरण बना है। गिरडीह के रहने वाले सूरज यादव ने (JPSC) परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बन गए हैं। सूरज यादव के पिता एक राज मिस्त्री हैं, जो रोज मजदूरी करते हैं। 

साधारण परिवार, असाधारण सपने

सूरज यादव का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहाँ हर दिन की कमाई से घर चलता था। उनके पिता एक राजमिस्त्री हैं, जिनका काम हर दिन की मजदूरी पर निर्भर करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कभी-कभी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता था। ऐसे माहौल में, जहाँ कई लोग अपने सपनों को दबा देते हैं, सूरज ने बड़े सपने देखने की हिम्मत की। उन्होंने बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्वाब देखा था। उन्हें पता था कि यह रास्ता आसान नहीं होगा, लेकिन उनके भीतर कुछ कर गुजरने की आग जल रही थी।

Advertisment

यह भी पढ़ें: PM Kisan 20th Installment: पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 20वीं किस्त जारी, PM मोदी ने वाराणसी के दबाया क्रेडिट का बटन

संघर्ष का दौर,स्विगी और रैपिडो का साथ

कॉलेज की पढ़ाई के बाद जब सूरज ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक तंगी की थी। कोचिंग की फीस, किताबों का खर्च और अन्य जरूरी खर्चे पूरे करना मुश्किल था। इस चुनौती का सामना करने के लिए सूरज ने नौकरी करने का फैसला किया। लेकिन, उन्हें ऐसी नौकरी चाहिए थी जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित न हो। उन्होंने स्विगी (Swiggy) और रैपिडो (Rapido) में डिलीवरी बॉय और ड्राइवर के तौर पर काम करना शुरू किया।

सुबह और शाम के समय जब शहरों में लोग अपने घरों में आराम कर रहे होते थे, सूरज अपनी बाइक पर सवार होकर खाना और पार्सल डिलीवर करते थे। वह हर दिन करीब 5 घंटे तक रैपिडो चलाते थे, ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। यह काम शारीरिक रूप से थकाऊ था, लेकिन सूरज के इरादों को कमजोर नहीं कर सका। उन्होंने इन छोटी-छोटी कमाई से अपनी कोचिंग की फीस भरी, किताबें खरीदीं और अपने परिवार को भी कुछ हद तक सहारा दिया।

Advertisment

किताबों और सड़कों के बीच संतुलन

यह एक ऐसी जिंदगी थी, जहाँ एक तरफ किताबों के पन्ने थे और दूसरी तरफ शहर की भीड़-भाड़ वाली सड़कें। सूरज दिन के समय अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते थे और शाम को डिलीवरी का काम करते थे। यह संतुलन बनाए रखना आसान नहीं था। कई बार उन्हें रात-रात भर जागकर पढ़ाई करनी पड़ती थी, ताकि वे अपने लक्ष्य से भटक न जाएँ। उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि वे थकान को अपनी पढ़ाई पर हावी नहीं होने देते थे। सूरज का यह सफर इस बात का प्रतीक है कि जब इंसान के अंदर कुछ कर दिखाने की चाह होती है, तो कोई भी काम छोटा नहीं होता।

JPSC परीक्षा में कामयाबी,समाज के लिए एक मिसाल

सूरज ने अपनी मेहनत और दृढ़ता के साथ JPSC की तैयारी जारी रखी। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन कभी भी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। आखिरकार, उनकी तपस्या रंग लाई और उन्होंने JPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की। जब परिणाम घोषित हुआ और उन्हें पता चला कि वे डिप्टी कलेक्टर बन गए हैं, तो उनके और उनके परिवार के लिए यह एक अविश्वसनीय क्षण था। यह सिर्फ एक परीक्षा का परिणाम नहीं था, बल्कि उन सभी रातों का फल था जो उन्होंने जागकर बिताई थीं, उन सभी किलोमीटरों का हिसाब था जो उन्होंने अपनी बाइक पर तय किए थे।

सूरज यादव की यह कहानी आज के दौर के युवाओं के लिए एक बड़ी सीख है। यह कहानी बताती है कि सफलता पाने के लिए महंगे स्कूल और बड़ी डिग्रियां ही काफी नहीं हैं, बल्कि इसके लिए जुनून, मेहनत और खुद पर यकीन होना जरूरी है। सूरज ने यह साबित कर दिया है कि एक राजमिस्त्री का बेटा भी बड़े से बड़ा अफसर बन सकता है। उनकी यह सफलता सिर्फ उनके परिवार की ही नहीं, बल्कि गिरिडीह और पूरे झारखंड की है। उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर अब कई युवा अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत जुटा रहे हैं।

Advertisment

Siwgy to Deputy Collector: राजमिस्त्री का बेटा बन गया बड़ा अफसर, 5 घंटे रैपिडो चलाया, डिलीवरी बॉय से बने डिप्टी कलेक्टर

Siwgy to Deputy Collector: कहते हैं कि आज के दौर में राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, बनेगा वही जो इस दुनिया में काबिल है और इंसान के अंदर काबलियत होनी चाहिए, इतनी चाहिए कि उसे कुछ करने के लिए जिंदगी से जंग लड़नी पड़े, फिर जब डिप्टी कलेक्टर बनेगा तो समाज के लिए उदाहरण बनेगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें

education एजुकेशन सक्सेस स्टोरी Swiggy delivery boy success story Suraj Yadav JPSC topper Jharkhand deputy collector 2025 Inspiring IAS stories India सूरज की सक्सेस स्टोरी
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें