नई दिल्ली। 175 यात्रियों को ले जा रहे एक रूसी विमान पर बिजली गिरने का वाक्या सामने आया है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि विमान को कुछ भी नहीं हुआ। बस विमान कुछ देर के लिए फ्री-फॉल करने लगा, जल्द ही पायलट ने विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया और उसे इमरजेंसी लैंडिंग कराने में कामयाब रहा। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि बिजली गिरने के बावजूद विमान को कोई नुकसान क्यों नहीं हुआ?
आमतौर पर हम देखते हैं कि आसमानी बिजली जहां गिरती है वहां भारी नुकसान होता है। क्योंकि आसमानी बिजली में एक अरब ज्यूल का करंट होता है। आसान भाषा में कहें तो ये एक चौथाई टन के विस्फोटक से होने वाले धमाके के बराबर होता है। आइए जानते हैं कि विमान को आसमानी बिजली से कोई नुकसान क्यों नहीं हुआ?
विमान के ऊपर एक परत चढ़ी होती है
दरअसल, विमान के ऊपर ऐसी परत चढ़ी होती है जो उसे कुदरती झटकों से बचाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विमानों में सुरक्षा के सख्त इंतजाम होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विमान अक्सर बादलों के बीच सफर करते हैं। कभी-कभी उनका सामना बिजली से भी होता है। इसलिए विमान को इस तरह से बनाया जाता है कि उन पर आसमानी बिजली का असर न हो।
बिजली गिरने पर विमान को झटका जरूर लगता है
मान लिजिए अगर किसी विमान पर बिजली गिरती भी है तो वो उसकी ऊपरी परत से होती हुई गुजर जाती है। हालांकि इस दौरान विमान को झटका जरूर लगता है। मगर आसमानी बिजली कितनी भी ताकतवर क्यों ने हो, उसका असर विमान के भीतर बैठे मुसाफिरों पर नहीं होता है। बतादें कि विमान की परत बिजली के गुजर वाले मेटर की बनी होती है। इसके अलावा विमान के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और ईंधन का टैंक भी ऐसी सुरक्षा परत से लैस होते हैं जो आसमानी बिजली को बेअसर कर देते हैं।
भीतर बैठे मुसाफ़िरों को तो पता भी नहीं चलता
बतादें कि विमान को सर्टिफिकेट मिलने से पहले उसकी तमाम तरह से जांच की जाती है। उसमें बिजली गुजारकर देखा जाता है कि उस पर बिजली गिरी तो कोई नुकसान तो नहीं होगा। हालांकि आज से 20-30 साल पहले विमान इतने सुरक्षित नहीं होते थे। लेकिन, आज तकनीक इतनी तरक्की कर चुकी है कि ऐसे झटकों को झेलना, पायलट और विमान के लिए आम बात हो चुकी है। भीतर बैठे मुसाफ़िरों को तो पता भी नहीं चलता कि आसमानी बिजली उनके प्लेन पर गिरी है।