नई दिल्ली। भारतीय पुरूष हॉकी टीम (Indian men’s hockey team) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में इतिहास रच दिया है। टीम ने ओलंपिक में 4 दशक से पड़े सूखे को खत्म किया और कांस्य पदक अपने नाम कर लिया। भारत ने इस मैच में जर्मनी को 5-4 से मात दी है। हालांकि, इस मैच में टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन आखिरकार भारत ने इस मैच को जीत ही लिया। जीत के बाद सोशल मीडिया पर टीम इंडिया के लिए बधाइयों का तांता लगा हुआ है। कई लोग इसे भारत के राष्ट्रीय खेल की जीत बता रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या ‘हॉकी’ (Hockey India) भारत का राष्ट्रीय खेल है?
भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है?
हॉकी के बारे में आपने कई किताबों, वेबसाइटों आदि में पढ़ा होगा। वहां आपको बताया गया होगा कि यह ‘भारत का राष्ट्रीय खेल है’। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है। इतना ही नहीं भारत का कोई भी राष्ट्रीय खेल नहीं है। हालांकि, हॉकी ने भारत को कई गोल्ड मेडल और विश्व कप दिलाए हैं । इस कारण से लोग इस राष्ट्रीय खेल मान लेते हैं। लेकिन इसे राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है।
इस संबंध में आरटीआई से जानकारी मांगी गई
खेल मंत्रालय ने इस बात को खुद स्पष्ट किया है। दरअसल लखनऊ की 10 वर्षीय ऐश्वर्य पाराशर ने प्रधानमंत्री कार्यालय में एक पत्र में भारत का राष्ट्रगान, गीत, खेल, पक्षी, पशु, फूल और प्रतीक के बारे में पूछा था। जिसके जवाब में खेल मंत्रालय के सचिव शिवप्रताप सिंह तोमर ने कहा कि अभी भारत सरकार ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा नहीं दिया है। सरकार ने इसके पीछे तर्क देते हुए बताया था कि वो सभी खेलों को बराबरी के नजर से देखती है।
भारत के लिए हॉकी गौरवपूर्ण खेल
हालांकि, हॉकी भारत के लिए एक गौरवपूर्ण खेल है। भारतीय हॉकी टीम ने साल 1928 में पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेल था। जिसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। साल 1928 से 1956 तक हॉकी टीम ने इंडिया के लिए 6 गोल्ड मेडल जीते थे। भारत के इतिहास में इस युग को स्वर्णिम युग का दर्जा दिया गया है। इसी युग में भारत को हॉकी का जादूगर मेजर ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी मिले थे। ध्यानचंद हॉकी के कैरियर के जादूगर के नाम से जाने जाते है। इन्होंने ही पहली बार भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते। इन्होंने अपने हॉकी कैरियर में करीब 185 हॉकी मैच खेले है। साल 1956 में भारत सरकार ने इन्हे पद्म भूषण से सम्मानित भी किया।