नई दिल्ली। Shree Krishna Janmashtami 2022 Kab Hai तिथियों के घटने बढ़ने के कारण त्योहारों Janmashtami 2022 Date : की तारीखों में भी बदलाव होता है। ऐसे में लोगों के मन में जन्माष्टमी तिथि hindi news को लेकर भी बड़ी दुविधा astrology है तो आपको बता दें जन्माष्टमी का त्योहार दोनों दिन मनाया जा सकेगा। ज्योतिषाचार्य की मानें तो दो अलग-अलग परंपराओं के चलते जन्माष्टमी की तिथियों में अंतर आ रहा है। वैष्णव परंपरा अनुसार जन्माष्टमी 20 अगस्त को मनाई जाएगी ।
आपको बता दें हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जिसे हर वर्ष भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है।
रात में ही मनाते हैं जन्मोत्सव
इस त्योहार को लेकर कई लोग मुहूर्त देखते है तो कई लोग मध्य रात्रि यानि रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन की पूजा रात में की जाती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने और इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।
बन रहे हैं विशेष योग ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी दो दिन बनाई जा रही है और 19 और 20 अगस्त इन दोनों ही दिन शुभ योगों का संयोग बनने वाला है।
जन्माष्टमी का त्योहार इसलिए होगा खास
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार 19 और 20 अगस्त को मनाया जाएगा। वो इसलिए क्योंकि कोई भी व्रत परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। स्मार्थ संप्रदाय के लोग अष्टमी तिथि में व्रत को शुभ मानते हैं। चूंकि अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 12ः5 मिनट के बाद आई है इसलिए ये त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग ये त्योहार 20 अगस्त को मनाएंगे। क्योंकि इस संप्रदाय के लोग शुभ मुहूर्त के लिए रोहिणी नक्षत्र का ध्यान रखते हैं। इस लिहाज से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार 19 और 20 अगस्त को मनाया जाएगा।
पूजा सामग्री – puja samgri
वैसे तो सभी पूजा में एक समान सामान लगता है। लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन में कुछ विशेष पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है। जिसमें ककड़ी, खीरा, एक साफ.सुथरा पीला कपड़ाए चौकीए पंचामृतए बाल कृष्ण की मूर्ति, खीरा, दही, शहद, दूध, सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, अक्षत, माखन, मिशरी, भोग सामग्री, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन जरूर होना चाहिए। इसके अलावा आप भगवान को अर्पित करने के लिए पीले कपड़े, पीले फूल या पीले फल भी ला सकते हैं।
जन्माष्टमी व्रत का नियम – janmastmi vrat ke niyam
जन्माष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर जलाहार या फलाहार जैसे आप व्रत रख रहे हैं वे ग्रहण करें। लोग अपनी सामर्थ अनुसार व्रत रख सकते हैं। मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें। उस प्रतिमा को पहले दूध, दही और शहद आदि पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद शक्कर और अंत में घी से स्नान कराएं। इसे पंजामृत स्नान भी कहते हैं। इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं। श्री कृष्ण को पीले फूल और प्रसाद अर्पित करें। ध्यान रहे कि अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करेंं। इसके बाद इच्छित मनोकामना के अनुसार श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें। प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में भी बांटें।