Jammu Kashmir Election: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 58.85 प्रतिशत वोटिंग हुई। किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 77.23 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे ज्यादा 77.23 प्रतिशत वोटिंग किश्तवाड़ में हुई। वहीं पुलवामा में सबसे कम 46.03 प्रतिशत वोटिंग हुई। सबसे ज्यादा वोटिंग में दूसरे नंबर पर डोडा (69.33%) और तीसरे नंबर पर रामबन (67.71%) रहा।
इल्तिजा मुफ्ती ने डाला वोट
बिजबेहरा विधानसभा सीट से PDP की प्रत्याशी और पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने मतदान किया। किश्तवाड़ से बीजेपी प्रत्याशी शगुन परिहार ने भी वोटिंग की। शगुन ने आरोप लगाया था कि किश्तवाड़ के बागवान मोहल्ले में बिना पहचान पत्र के मतदान कराया गया। इसके बाद माहौल गर्मा गया। कुछ देर वोटिंग रुक गई थी।
35 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने भी की वोटिंग
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Election) में पहले चरण में देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले 35 हजार से ज्यादा विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने मतदान किया। उनके लिए 24 स्पेशल पोलिंग बूथ बनाए गए थे। दिल्ली में 4, जम्मू में 19 और उधमपुर में एक बूथ बनाया गया था।
10 साल बाद विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में वोटिंग 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगी। बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे हैं। 2014 में PDP ने 28 और बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं। दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी।
2014 में पहले फेज में 22 सीटों पर हुआ था मतदान
2014 के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दक्षिण कश्मीर की 22 सीटों पर मतदान हुआ था। महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी और कांग्रेस ने 4-4 सीटें जीतीं, जबकि फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2 और CPI (M) को एक सीट मिली थी।
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2014 से कितना 2024 विधानसभा चुनाव
5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाई गई थी। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है और यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। आखिरी बार 2014 में 87 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 7 नई विधानसभा सीटें जोड़ी गई हैं। इस बार कुल 90 सीटों पर चुनाव हो रहा है। जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में 74 सामान्य, 7 अनुसूचित जाति और 9 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। धारा 370 हटने से पहले जम्मू-कश्मीर का विधानसभा कार्यकाल 6 साल था, लेकिन अब ये 5 साल का होगा।
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