Jagadguru on Gyanvapi Case: उत्तरप्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू पक्ष द्वारा खुदाई के जरिए सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका को शुक्रवार 25 अक्टूबर को ख़ारिज कर दिया था. अब इस मामले में हिन्दू संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य का बयान सामने आया है.
उन्होंने याचिका ख़ारिज होने पर कहा कि अब हम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे. फैसला हमारे पक्ष में होगा.
#WATCH | On the Gyanvapi case, Jagadguru Rambhadracharya says, "We will go to the High Court and then the Supreme Court. The decision will be in our favour…" (26.10) pic.twitter.com/ldVOfqDQEd
— ANI (@ANI) October 27, 2024
हम हाई कोर्ट जाएंगे-हिंदू पक्ष वकील
ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे मामले में हिन्दू पक्ष के प्रमुख वकील विजय शंकर रस्तोगी (Jagadguru on Gyanvapi Case) ने कहा कि हमारी ओर से दी गई अतिरिक्त सर्वे के आवेदन को निरस्त कर दिया गया है. अब हम इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खट खटाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि हमारी मांग थी कि एसएसआई द्वारा ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) के पूरे परिसर का सर्वे कराया जाए. इस न्यायलय ने माननीय हाई कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं किया है.
क्योंकि हाई कोर्ट ने इस न्यायलय को निर्देशित किया था कि अगर 4 अप्रैल 2021 के अनुसार पूर्व में दाखिल की ASI रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है, तो अतिरिक्त सर्वे मांगने का अधिकार है. इस आदेश का उलंघन्न किया गया है.
मोहम्मद यासीन ने जताई ख़ुशी
इस फैसले पर अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मोहम्मद यासीन ने प्रसन्नता व्यक्त की और इसे न्याय की जीत बताया। गौरतलब है कि हिंदू पक्ष ने कोर्ट में यह दावा किया है कि ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग स्थित है और इसके सत्यापन के लिए एएसआई से खुदाई व सर्वेक्षण की मांग की है.
दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि खुदाई से मस्जिद के ढांचे को क्षति पहुंच सकती है.
क्या है ज्ञानवापी विवाद ?
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को अयोध्या (Jagadguru on Gyanvapi Case) विवाद के समान देखा जा सकता है। कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। यह मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद के पास स्थित है।
हिंदू पक्ष का मानना है कि इस मस्जिद के नीचे आदि विश्वेश्वर (Gyanvapi Case) का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया, जिसे आज ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
इसके बाद, 1991 में वाराणसी जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी।
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