Jabalpur Tehsildar Strike: जबलपुर में तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ FIR दर्ज होने के विरोध में तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और SLR की हड़ताल का असर प्रदेश में देखने को मिलने लगा है।
आपको बता दें कि इससे अब राजस्व के मामले अटकना शुरू हो गए हैं। भोपाल 200 से ज्यादा पेशियां टल चुकी हैं। हड़ताल की वजह से तहसील कार्यालय (Tehsil Office) में कोई काम नहीं हो रहा है।
वहीं प्रांतीय संगठन में दो फाड़ के चलते 22 सितंबर को चुनाव होंगे। इसके बाद हड़ताल को बंद करने को लेकर निर्णय लिया जा सकता है।
तहसीलदारों की हड़ताल से जनता परेशान: प्रदेशभर में अटके ये काम, प्रांतीय संगठन में दो फाड़ के चलते इस दिन चुनाव#jabalpur #MPNews #tehsildarstrikehttps://t.co/IVW5DRxoOj
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 21, 2024
तहसीलदारों के आंदोलन को मिल रहा इनका समर्थन
तहसीलदारों के इस आंदोलन (Jabalpur Tehsildar Strike) को कई अफसरों का समर्थन भी मिल रहा है, जिसमें प्रभारी डिप्टी कलेक्टर, आरआई, पटवारी और राजस्व से जुड़े अन्य कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं।
इसकी वजह से तहसील के सभी तरह के कामों पर असर पड़ रहा है। गौरतलब है कि पूरे प्रदेश के तहसीलदार, नायब तहसीलदार और SLR समेत 1400 अधिकारी हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) पर है।
अटके इन विभागों के काम
इस हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) के कारण राजस्व से जुड़े काम जैसे नामांतरण, बंटवारा, ईडब्ल्यूएस और नक्शा तरमीम जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़ गए हैं। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ (Madhya Pradesh Revenue Officers Association) तहसीलदार और पटवारी पर FIR मामले को लेकर ज्ञापन भी सौंप चुका है। अब इस पर सरकार को निर्णय लेना है।
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राजस्व मामले में भोपाल की ये स्थिति
बता दें कि राजस्व मामलों में भोपाल की स्थिति ठीक नहीं है। भोपाल लंबित मामलों में प्रदेश भर में 34वें नंबर पर है। KYC के 2.40 लाख और नक्शा तरमीम के ही 1 लाख 54 हजार मामले लंबित पड़े हुए हैं।
इसमें सबसे खास बात ये है कि ये स्थिति तब है, जब महाअभियान के बाद कलेक्टर और संभागायुक्त (Divisional Commissioner) ने सभी को मामलों को प्रमुख रूप से करने के निर्देश दिए हैं।
हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) के कारण स्थिति और बिगड़ जाएगी। इसके अलावा अगर हड़ताल वापस भी होती है, तब भी शनिवार और रविवार को अवकाश की वजह से काम नहीं होगा।
प्रदेशभर में हड़ताल से अटके ये काम
– भूमि राजस्व की वसूली: तहसीलदार और नायब तहसीलदार का मुख्य काम भूमि राजस्व की वसूली करना होता है। वे ये सुनिश्चित करते हैं कि किसान और भूमि मालिक अपने निर्धारित भूमि राजस्व का भुगतान समय पर करें, जो कि हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) से ठप हो गया है।
– भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव: हड़ताल का असर भूमि संबंधी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेजों जैसे (खसरा, खतौनी आदि) को अद्यतन और सुरक्षित रखने पर भी पड़ रहा है।
– म्यूटेशन (नामांतरण) की प्रक्रिया: जब कोई जमीन का मालिक बदलता है, तो तहसीलदार और नायब तहसीलदार जमीन के नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया को संपन्न करते हैं। इससे नामांतरण की प्रक्रिया पर भी (Jabalpur Tehsildar Strike) असर पड़ रहा है।
– भू-अभिलेखों की देखरेख: तहसीलदार और नायब तहसीलदार भू-अभिलेखों (जमाबंदी, नक्शा आदि) का निरीक्षण और अपडेट करने का काम करते हैं, ताकि जमीन का मालिकाना हक स्पष्ट रहे।
– राजस्व विवादों का निपटारा: तहसीलदार और नायब तहसीलदार भूमि स्वामित्व और भूमि सीमा पर हुए विवादों पर सुनवाई कर उसका निपटारा करते हैं, जो कि फिलहाल पूरी तरह बंद है।
– सर्वेक्षण और भूमि विभाजन: इसका असर सर्वेक्षण और री-सर्वे के अलावा, भूमि के विभाजन (पार्टिशन) और पुनर्वितरण के मामलों की देखरेख पर भी पड़ रहा है।
– कृषि संबंधित कार्य: तहसीलदार कृषि से जुड़ी गतिविधियों पर निगरानी रखते हैं, जैसे फसल की पैदावार और सिंचाई सुविधाओं की जानकारी आदि।
– प्राकृतिक आपदा के समय राहत कार्य: प्राकृतिक आपदा आने पर राहत कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
– सरकारी भूमि की देखरेख: सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा न हो और अगर होता है, तो उसे हटाने का काम किया जाना चाहिए।
– आय प्रमाण पत्र और अन्य प्रमाण पत्र जारी करना: नागरिकों को आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और अन्य प्रशासनिक प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहा है।
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मप्र राजस्व अधिकारी संघ में दो फाड़
वहीं प्रदेश में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के राज्य स्तरीय संगठन कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी संघ में दो फाड़ हो चुके हैं।
बता दें कि तहसीलदारों के एक गुट ने चुनाव की तारीख घोषित करने के बाद भी सोशल मीडिया ग्रुप पर वोटिंग कराकर खुद को अध्यक्ष घोषित कर लिया था, जबकि जो कार्यकारिणी पहले से काम कर रही थी, उसने इसे अवैध बताया है।
वर्तमान में काम कर रही संघ की कार्यकारिणी अध्यक्ष ने कहा है कि जिन्हें भी जिम्मेदारी संभालना है, वे भोपाल में 22 सितंबर को होने वाले संघ के चुनाव को लड़कर जीतें।
ऐसे सामने आया पूरा मामला
ये पूरा मामला तब सामने आया, जब जबलपुर और दतिया में तहसीलदारों के विरुद्ध हुई कार्रवाई में सोशल मीडिया पर बने ग्रुप में तहसीलदारों के गुट ने ऑनलाइन वोटिंग करा ली थी।
वोटिंग के बाद तहसीलदार धर्मेंद्र सिंह चौहान को कार्यकारिणी का अध्यक्ष घोषित कर दिया था। इतना ही इस गुट के लोगों ने पहले से काम कर रही कार्यकारिणी के लेटरपैड पर अपनी नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया था।
22 सितंबर को होगी वोटिंग
कार्यकारिणी के लेटर हेड के इस्तेमाल पर कमेटी ने आपत्ति जताई और चुनाव की तारीख 22 सितंबर तय कर दी। अब इस दिन चुनाव कराए जाएंगे।
बंसल न्यूज डिजिटल के सवालों से बचते नजर आए प्रांताध्यक्ष
बंसल न्यूज डिजिटल ने मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष गुलाब सिंह बघेल से इस मुद्दे को फोन किया। जब हमने उनके सामने जनता से जुड़े ये तीन सवाल पूछे तो उन्होंने बात करने से साफ इनकार कर दिया। गुलाब सिंह बघेल का कहना था कि, हम इस बारे में अब कुछ नहीं कहेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
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