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MP में फर्जीवाड़ा: जबलपुर का ईसाई पुलिस इंस्पेक्टर अमिताभ सिंह आदिवासी बनकर 25 साल करता रहा नौकरी, अब होगा एक्शन

MP police Scam: जबलपुर के SI अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र से 25 साल तक मध्यप्रदेश पुलिस में नौकरी की। एसडीएम रिपोर्ट में खुलासा, कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए शासन को लिखा।

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BP Shrivastava
MP police Scam

हाइलाइट्स

  • अमिताभ प्रताप सिंह साल 2000 में फर्जी प्रमाण पत्र से SI बना
  • 25 साल नौकरी करने के बाद SDM की रिपोर्ट में खुलासा हुआ
  • जबलपुर कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए शासन को लिखा पत्र
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MP police Scam: मध्यप्रदेश पुलिस विभाग से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जबलपर के नेपियर टाउन में रहने वाले अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर 25 साल तक पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी कर ली। इस बात का खुलासा एसडीएम की रिपोर्ट से हुआ है।

अमिताभ ईसाई है और गौड़ जाति के प्रमाण पत्र से नौकरी पाई

[caption id="attachment_800407" align="alignnone" width="875"]publive-image फर्जी जाति प्रमाण पत्र से एसआई बना अमिताभ प्रताप सिंह।[/caption]

रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ प्रताप सिंह, उर्फ अमिताभ थियोफिलस, क्रिश्चियन है। इसने साल 2000 में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती होने के लिए गौड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। अब जबलपुर कलेक्टर ने इस मामले में कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है, जो एसडीएम की जांच रिपोर्ट पर आधारित है।

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[caption id="attachment_800408" align="alignnone" width="885"]publive-image एसआई अमिताभ का जाति प्रमाण पत्र, जो फर्जी पाया गया।[/caption]

2019 में पहली बार और 2024 में दूसरी बार शिकायत

एसआई अमिताभ सिंह ईसाई समुदाय से थे, लेकिन वह खुद को राजपूत बताकर पेश करते थे। 2019 में भोपाल की सोनाली दात्रे ने उस समय की आयुक्त दीपाली रस्तोगी के पास अमिताभ सिंह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी। विभाग ने न तो कोई जांच की और न ही कोई कार्रवाई की। फिर 9 अक्टूबर 2024 को अमिताभ सिंह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला फिर से सामने आया।

SDM मरावी की रिपोर्ट में SI अमिताभ के फर्जीवाड़े का खुलासा

[caption id="attachment_800410" align="alignnone" width="860"]publive-image एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी, जिन्होंने जांच में पाया कि एसआई का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है।[/caption]

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इस बार प्रमिला तिवारी, जो भोपाल में रहती हैं, ने आयुक्त जनजातीय ई-रमेश से शिकायत की। कमिश्नर ट्राइबल ने अमिताभ सिंह के जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को फरवरी 2025 में एक पत्र लिखा। इसके बाद, कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से पुलिस की नौकरी हासिल की थी।

SI के पूर्वज भी नहीं हैं जबलपुर के

एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने बताया कि अमिताभ ने कार्यालय में आकर कहा था कि उनके पूर्वज 1950 में जबलपुर जिले के आसपास किसी और जिले में रहते थे। जब इस बात की जांच की गई, तो पता चला कि अमिताभ की दी गई जानकारी पूरी तरह से गलत थी। जांच में यह भी सामने आया कि 1950 में उनके पूर्वजों के गोंड जनजाति से संबंधित कोई दस्तावेज जबलपुर जिले में नहीं मिले। इसके अलावा, उनके किसी रिश्तेदार का भी गोंड जनजाति से कोई संबंध नहीं है।

इस तरह की गड़बड़ी

एसडीएम ने बताया कि अमिताभ या उसके पिता, स्व. धीरेंद्र प्रताप सिंह ने जानबूझकर जनजाति आरक्षण का फायदा उठाने के लिए स्कूल में कक्षा पहली के दाखिले के लिए गोंड जाति का उल्लेख किया है। अमिताभ के परिवार में कोई भी व्यक्ति गोंड जनजाति से संबंधित नहीं है। अमिताभ प्रताप सिंह द्वारा दिए गए पते 206 अंकुर अपार्टमेंट, जबलपुर में उनके और उनके पूर्वजों के 1950 के समय में रहने की पुष्टि नहीं हो रही है। इसके अलावा, अमिताभ ने "गोंड" जनजाति का सदस्य न होने के बावजूद 1997-98 में झूठी जानकारी देकर "गोंड" जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाया है। जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने यह भी पाया कि अमिताभ क्रिश्चियन धर्म को मानता है और उसका जनजातियों की परंपराओं से कोई संबंध नहीं है।

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SDM ने बताया SI का जाति प्रमाण पत्र फर्जी

एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने मामले की बारीकी से जांच की। अमिताभ से प्राप्त सभी दस्तावेजों की समीक्षा की गई, जिसमें जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। एसडीएम ने बताया कि उसके पूर्वजों का 1950 में तहसील रांझी, जिला जबलपुर में निवास नहीं था। अमिताभ प्रताप सिंह ने गलत जानकारी देते हुए 1997-98 में "गोंड" जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था, इसलिए अमिताभ प्रताप सिंह का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया जाए और उसके खिलाफ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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बड़ा सवाल ?

अब बड़ा सवाल यह है कि इतने साल से फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी कर रहे एसआई अमिताभ प्रताप सिंह को आखिर किसकी मदद मिल रही है। जिसकी वजह से पांच साल पहले हुई शिकायत के बाद आखिरकार अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी। एसआई को नौकरी से क्यों नहीं हटाया गया? अब एक बार फिर फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले एसआई की शिकायत पर एसडीएम ने रिपोर्ट में खुलासा कर दिया है। जिस रिपोर्ट के आधार पर जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने भी शासन को कार्रवाई के लिए पत्र लिख दिया है। अब देखना है कि शासन कितने दिनों में एक्शन लेता है या फिर उन्हें और फर्जी तरीके से नौकरी करने की छूट देता है।

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