जबलपुर। Jabalpur Rope Way Mock Drill: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर में विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट में संचालित रोपवे में यात्रियों से भरी केबल कारें अचानक अटक गई, जिससे 90 फुट की ऊंचाई पर केबल कार की सवारी कर रहे यात्रियों की जान आफत में आ गई। नीचे देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। आप सोच रहे होंगे ये कब हुआ। दरअसल से सत्य घटना नहीं बल्कि एनडीआरएफ (NDRF)वाराणसी की टीमों द्वारा आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन योजना के तहत की जाने वाली मॉक ड्रिल थी।
MP-UP में NDRF की मॉक ड्रिल
आपको बता दें यह पूरा वाकया भेड़ाघाट का था जहां आपात स्थितियों में रोपवे स्थलों की तैयारियों को परखने के लिए मॉकड्रिल किया गया था। काफी देर बाद जब लोगों को पता चला कि रोपवे पर कोई सच में हादसा नहीं हुआ है बल्कि आपात स्थितियों से निपटने के लिए मॉक अभ्यास किया जा रहा है। तो लोगों की जान में जान आई।
झारखंड घटना के बाद सीख
दरअसल पिछले वर्ष झारखंड के देवघर स्थित त्रिकूट रोप-वे हादसे को ध्यान में रखते हुए एनडीआरएफ वाराणसी की टीमों द्वारा आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन योजना के तहत उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के रोप-वे स्थलों पर स्थानीय प्रशासन के साथ सयुंक्त मॉक अभ्यास किया गया। इसी कड़ी में डिप्टी कमांडेंट सन्तोष कुमार की देखरेख में भेड़ाघाट में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, विभिन्न हितधारकों एवं रोप-वे संचालन से जुड़े कर्मचारियों के साथ संयुक्त रूप से केबल कार आपात स्थिति पर मॉक अभ्यास आयोजित किया गया।
इमरजेंसी परिदृश्य चित्रित किया
मॉक एक्सरसाइज के दौरान केबल कार इमरजेंसी पर एक परिदृश्य चित्रित किया गया। जिसमें नर्मदा भेड़ाघाट में रोप-वे पर किसी तकनीकी समस्या की वजह से केबल कारें लगभग 90 फुट की ऊंचाई पर अटक गई हैं और उनके अंदर यात्री फंस गये। इस घटना के बारे में तत्काल आपातकालीन नियंत्रण को सूचना दी गई। वहां से एनडीआरएफ नियंत्रण कक्ष और सभी संबंधित लोगों को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए सूचित किया। घटना स्थल पहुंचते ही एनडीआरएफ Jabalpur Rope Way Mock Drill की टीम ने प्रारंभिक मूल्यांकन किया और साथ ही ऑपरेशन के बेस, कमांड पोस्ट, मेडिकल पोस्ट और संचार पोस्ट की स्थापना की और आकलन के बाद टीम ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया। जिसके बाद सभी फंसे हुए पीड़ितों को विभिन्न रस्सी बचाव व अन्य तकनीक के माध्यम से सुरक्षित बाहर निकाला। मेडिकल एजेंसियों द्वारा प्राथमिक उपचार देने के बाद सभी पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाया गया। पूरे अभ्यास के दौरान इंसिडेंट रिस्पोंस सिस्टम (आईआरएस) के दिशा-निर्देशों पर जोर दिया गया और इसका पालन किया गया।