हाइलाइट्स
- जबलपुर में धान परिवहन घोटाले में बड़ी गिरफ्तारी
- आपूर्ति निगम प्रबंधक दिलीप किरार गिरफ्तार।
- छतरपुर में छुपा था 74 हजार का इनामी दिलीप।
Jabalpur Rice Scam: जबलपुर जिले में धान परिवहन के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में क्राइम ब्रांच बड़ी कार्रवाई की है। क्राइम ब्रांच ने इस घोटाले के मास्टरमाइंड दिलीप किरार को गिरफ्तार किया है। मामले का मुख्य आरोपी एमपी सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन (MPSCSC) का प्रभारी जिला प्रबंधक दिलीप किरार लंबे समय से फरार था। उस पर 74 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। आखिरकार क्राइम ब्रांच ने उसे छतरपुर जिले से दबोच लिया। इस मामले में 74 आरोपियों के लिलाफ 12 अलग-अलग थानों में केस दर्ज हैं। घोटाले में अब तक 19 अधिकारी-कर्मचारियों को अरेस्ट किया जा चुका हैं।
धान परिवहन घोटाले में बड़ी गिरफ्तारी
क्राइम ब्रांच ने जबलपुर से 60 करोड़ रुपए के धान परिवहन घोटाले में मास्टरमाइंड और एमपी सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के प्रभारी जिला प्रबंधक दिलीप किरार को छतरपुर से गिरफ्तार किया। उस पर पहले 74 हजार रुपए का इनाम घोषित था। क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि दिलीप किरार छतरपुर में एक रिश्तेदार के घर छिपा हुआ है। इसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले जबलपुर के सराफा स्थित उसके आवास पर भी छापा मारा गया था, लेकिन वह वहां नहीं मिला था।
वाहनों की फर्जी ट्रिप दिखाकर घोटाला
इस घोटाले में फर्जी धान परिवहन ट्रिप, दस्तावेजों में हेराफेरी और ट्रकों की जगह कारों के नंबर दर्ज कर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया। जांच में खुलासा हुआ कि धान परिवहन के नाम पर 614 फर्जी ट्रिप दर्ज की गईं। इसमें 55 ऐसे वाहनों के नंबर शामिल थे, जो कार, पिकअप या ट्रैक्टर जैसे कम लोड उठाने वाले वाहन थे। इनकी मदद से एक-दो दिन के भीतर कई बार धान ढुलाई दिखाई गई, जो तकनीकी रूप से असंभव है। फर्जी परिवहन दिखाकर शासन को करोड़ों का चूना लगाया गया।
कितना बड़ा था यह घोटाला?
शुरुआत में हुई जांच में यह घोटाला 30 करोड़ 14 लाख 19 हजार 600 रुपए का माना जा रहा था, लेकिन जांच बढ़ने पर यह आंकड़ा बढ़कर 60 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया। इस घोटाले में 1,31,052 क्विंटल धान की हेराफेरी की गई। सबसे बड़ा खुलासा पाटन थाना क्षेत्र में हुआ, जहां 2 दिसंबर 2024 से 23 जनवरी 2025 के बीच कुल 21,129 क्विंटल धान, जिसकी कीमत लगभग 4.86 करोड़ है, कागजी खानापूर्ति के जरिए गबन कर लिया गया।
जांच समिति की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
धान परिवहन घोटाले की परतें उस वक्त खुलीं, जब जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर गठित एक उच्चस्तरीय जांच समिति ने विस्तृत रिपोर्ट सौंपी। इस समिति की अध्यक्षता अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड कर रहे थे। रिपोर्ट में सामने आया कि सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर करोड़ों की धान फर्जी तरीके से उठाई गई और उसका वास्तविक परिवहन किया ही नहीं गया।
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अफसरों और दलालों की मिलीभगत उजागर
जांच के दौरान पाया गया कि अंतर-जिला मिलिंग के नाम पर जबलपुर में संग्रहित धान को कागजों में तो अन्य जिलों में भेजा गया दिखाया गया, लेकिन वास्तव में उसे स्थानीय दलालों को बेच दिया गया। इस पूरे फर्जीवाड़े में मिलर्स, एमपी सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन के अधिकारी-कर्मचारी और उपार्जन केंद्र के प्रभारियों की साठगांठ सामने आई है।
अब तक 19 आरोपी गिरफ्तार
इस मामले में जबलपुर के विभिन्न थानों में 72 से अधिक आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। अब तक इस घोटाले में 19 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, बाकी आरोपियों पर 10-10 हजार का इनाम घोषित किया गया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों MPSCSC प्रभारी जिला प्रबंधक दिलीप किरार, ऑपरेटर सुनील प्रजापति, इश्यु सेंटर प्रभारी बी.एस. मेहर, मिलर्स मनदीप सिंह, प्रतीक सक्सेना, संजय जैन गंधर्व सिंह, समिति प्रबंधक रामस्वरूप रजक, कंप्यूटर ऑपरेटर्स शैलेंद्र ठाकुर, सौरभ ठाकुर शामिल है।
दिलीप किरार के खिलाफ 11 थानों में केस
इस घोटाले के मुख्य आरोपी दिलीप किरार के खिलाफ पाटन, कुण्डम, सिहोरा, मझगवां, समेत 11 थानों में गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। सभी आरोपियों के खिलाफ BNS की धाराएं 116/25, 61(2), 338, 336(3), 340(2), 318(4), 316(2), 316(4) और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत केस दर्ज किए गए हैं।
अब आगे क्या?
दिलीप किरार को पुलिस रिमांड पर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है। जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में और नाम सामने आ सकते हैं और जल्द ही अधिक गिरफ्तारियां हो सकती हैं।