Jabalpur Tehsildar Strike: जबलपुर में जमीन फर्जीवाड़े मामले में जिला प्रशासन की जांच में दोषी पाए गए तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे (Tehsildar Hari Singh Dhurve) की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को हाई कोर्ट जस्टिस MS भट्टी की एकल पीठ ने सभी तर्कों पर सुनवाई की थी। इसके बाद ये माना गया कि जो नामांतरण आदेश जारी किया गया है, वह कायदे के मुताबिक नहीं है। क्योंकि नामांतरण से पहले आवेदन में शपथ पत्र के अलावा अन्य डॉक्यूमेंट भी उचित रूप से नहीं लगाए गए। इसी आधार पर हाई कोर्ट (MP High Court) ने तहसीलदार धुर्वे की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
शासकीय अधिवक्ता (Government Advocate) के मुताबिक, जमीन फर्जीवाड़े मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने बचाव के कई तर्क पेश किए। सभी तर्कों पर सुनने के बाद कोर्ट (MP High Court) ने जब जांच रिपोर्ट के अलावा अन्य डॉक्यूमेंट्स की जांच की तो पाया गया कि तहसीलदार (Tehsildar Hari Singh Dhurve) ने जिस आवेदन के तहत नामांतरण किया है, वह विधिवत नहीं हैं।
उस आवेदन को राजस्व विभाग (Revenue Department) की प्रोसेस के खिलाफ जाकर दिया गया था। इस आधार पर कोर्ट ने तहसीलदार धुर्वे की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
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गिरफ्तारी पर हुई थी प्रदेशभर में हड़ताल
बता दें कि जमीन नामांतरण मामले में तहसीलदार के खिलाफ दर्ज FIR और गिरफ्तारी के बाद प्रदेश भर के तहसीलदार हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) पर चले गए थे। जिसकी वजह से राजस्व विभाग (Revenue Department) के काम अटकने की वजह से आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। हालांकि, राजस्व मंत्री और पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद 5वें दिन हड़ताल खत्म हो गई थी।
हड़ताल से अटके थे इन विभागों के काम
प्रदेशभर के तहसीलदारों के हड़ताल (Jabalpur Tehsildar Strike) पर जाने के बाद राजस्व से जुड़े काम जैसे नामांतरण, बंटवारा, ईडब्ल्यूएस और नक्शा तरमीम जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़ गए थे। इसे लेकर मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ (Madhya Pradesh Revenue Officers Association) तहसीलदार और पटवारी पर FIR मामले को लेकर ज्ञापन भी सौंपा था।