Jabalpur Museum Schedule: जबलपुर के 190 साल पुराने ब्रिटिश कालीन म्यूजियम को खोल दिया गया है। अब यहां हफ्ते में तीन दिन लोग एंटीक वस्तुओं को देखने पहुंच सकेंगे। जिसमें मुख्य रूप से देश के पहले क्रांतिकारी मंगल पांड़े की राइफल, उनकी चार्जशीट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का असली प्रतीक चिह्न समेत करीब 2000 दुर्लभ हथियार आकर्षण का केंद्र हैं।
जबलपुर में आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स (MOC) म्यूजियम, जो 1835 में स्थापित हुआ था, अब करीब 100 साल बाद पहली बार सार्वजनिक दर्शन के लिए उपलब्ध है। इस संग्रहालय में 11वीं से 19वीं सदी तक के 2,000 से अधिक हथियार और ऐतिहासिक वस्तुएं रखी गई हैं। यह म्यूजियम जबलपुर शहर से 8 किलोमीटर दूर एमसीएमएम कैंपस में है। इसे हफ्ते में तीन दिन जनता देख सकती है।
संग्रहालय में क्या-क्या है खास ?
म्यूजियम में कौनसी एंटीक वस्तुएं ?
दुनिया की पहली मशीन गन: इस संग्रहालय में दुनिया की पहली मशीन गन को भी रखा गया है।
15वीं सदी की बंदूक: एक ऐसी पुरानी बंदूक भी है, जिसे चलाने के लिए दो सैनिकों की जरूरत पड़ती थी।
आजाद हिंद फौज का प्रतीक: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का असली प्रतीक चिह्न, जिसमें मोर और अशोक पत्तियां बनी हैं, यहाँ एक ट्रॉफी के रूप में मौजूद है।
मंगल पांडे की राइफल और चार्जशीट: यहां 1857 के विद्रोह के नायक मंगल पांडे की असली राइफल ‘मस्कट एमएल एनफील्ड 577 आईएन-एम 1856’ और उनकी चार्जशीट को संरक्षित किया गया है।
वेट बुक: 18वीं सदी की एक ‘वेट बुक’ भी रखी है, जिसमें आने और जाने वाले विजिटर्स का वजन दर्ज होता था।
चार मुख्य सेक्शन में बंटा म्यूजियम
मास्टरपीस सेक्शन: इसमें सबसे दुर्लभ और ऐतिहासिक हथियार शामिल हैं।
सीक्यूबी (क्लोज क्वार्टर बैटल) सेक्शन: यहां आमने-सामने की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले हथियार प्रदर्शित किए गए हैं।
मशीन गन और राइफल सेक्शन: इसमें 11वीं से 19वीं सदी तक के फायरआर्म्स (बंदूकें) मौजूद हैं।
मिसलेनियस सेक्शन: इस हिस्से में महत्वपूर्ण दस्तावेज, कलाकृतियां और अन्य खास वस्तुएं रखी गई हैं।
क्या है एंट्री फीस और टाइम टेबल ?
- मंगलवार: वयस्कों के लिए ₹200 प्रति व्यक्ति।
- शनिवार: छात्रों के लिए ₹100 प्रति छात्र।
- रविवार: स्कूल बुकिंग के तहत ₹40 प्रति छात्र।
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