हाइलाइट्स
- चार लाख छात्रों के अभिभावकों को राहत।
- निजी स्कूलों के बच्चों को सस्ती किताबें।
- स्टेशनरी पर 50 फीसदी तक डिस्काउंट।
Jabalpur Book Fair 2025: नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले जबलपुर जिले में अभिभावकों को महंगी स्कूली किताबों से राहत दिलाने के लिए एक बड़ी पहल की गई है। यहां आयोजित पुस्तक मेले में स्कूली किताबें आधी कीमत पर उपलब्ध हैं, जबकि यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और अन्य स्टेशनरी आइटम्स पर 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है।
चार लाख स्टूडेंट्स को मिलेगा लाभ
इस पुस्तक मेले का लाभ जिले के 1800 स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 12 तक के चार लाख से अधिक छात्रों के अभिभावकों को मिलेगा। इसके अलावा, मेले में छात्रों के लिए करियर काउंसलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। वहीं, पुरानी किताबें दान करने के इच्छुक लोगों के लिए बुक बैंक की व्यवस्था की गई है।

5 अप्रैल तक चलेगा मेला
शहर के गोल बाजार स्थित शहीद स्मारक में 25 मार्च से शुरू हुआ यह पुस्तक मेला 5 अप्रैल तक चलेगा। मेले का उद्घाटन लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने किया। इस मेले में 57 स्टॉल लगाए गए हैं, जहां एनसीईआरटी सहित विभिन्न प्रकाशकों की किताबें 50 प्रतिशत तक डिस्काउंट पर उपलब्ध हैं।
यूनिफॉर्म और स्टेशनरी पर भी भारी छूट
- बॉयज यूनिफॉर्म: शर्ट-पेंट सेट 250 से 500 रुपये तक (20 प्रतिशत छूट)
- गर्ल्स यूनिफॉर्म: ट्यूनिक 400 और स्कर्ट 300 रुपये में (20 प्रतिशत छूट)
- अन्य आइटम्स: टाई 100 और मोजे 50 रुपये में उपलब्ध
- स्कूल बैग और स्टेशनरी: 20 से 50 प्रतिशत तक की छूट

बुक बैंक और करियर काउंसलिंग की सुविधा
मेले में एक बुक बैंक स्टॉल भी लगाया गया है, जहां स्टूडेंट्स अपनी पुरानी किताबें दान कर सकते हैं। अब तक दस हजार से अधिक पुस्तकें एकत्रित की जा चुकी हैं। छात्रों के लिए करियर काउंसलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। मेले में बच्चों के मनोरंजन के लिए फूड स्टॉल और झूले भी लगाए गए हैं।
पिछले साल भी मिली थी सराहना
कलेक्टर दीपक सक्सेना की पहल पर पिछले साल भी इस तरह के पुस्तक मेले का आयोजन किया गया था, जिसे पूरे प्रदेश में सराहना मिली थी। इस साल भी मेले को सफल बनाने के लिए पहले से ही सभी निजी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों की सूची तैयार की गई थी।
यह भी पढ़ें-
MP हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 5 साल का इंतजार खत्म, ओबीसी शिक्षक भर्ती पर अब नहीं होगी कोई रुकावट
RSS का चौंकाने वाला दावा: भोपाल के पुराने शहर से हिंदुओं की आबादी घटी, तीन हजार परिवारों ने छोड़ा घर