Worlds First Photo: फोटोग्राफी एक यात्रा है जिसने दुनिया को एक नया रूप दिया है। इसके माध्यम से हम छवि को अद्वितीय ढंग से कैप्चर कर सकते हैं और स्मृतियों को बरकरार रख सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की पहली फोटो के लिए लगा समय कितना था? यदि नहीं, तो चिंता न करें। हम आपको इस आद्यात्मिक यात्रा पर ले जाने के लिए तैयार हैं।
फोटोग्राफी की दुनिया ने अपना जन्म शुरू किया था लेकिन फोटो कैमरे के विकास के बावजूद इसे निश्चित रूप से अविश्वसनीय बनाने में बहुत समय लगा। आपको आश्चर्य होगा कि फोटो लेने के लिए पहले कितना समय लगता था। दुनिया की पहली फोटो के लिए लगा समय 8 घंटे था!
सन् 1826 में, एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ नीप्स दागर (Joseph Nicéphore Niépce) ने दुनिया की पहली फोटोग्राफी उत्पन्न की। उन्होंने एक सफेद लेखन पर लगातार कई घंटों तक एक साथ सूर्य की किरणों को निभाया। इस प्रक्रिया को हेलियोग्राम कहा जाता है। नीप्स दागर की यह पहली फोटो एक ग्रामीण परिदृश्य को कैप्चर करती है, जिसमें एक साथी और एक सड़क प्रदर्शित हो रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण मोम के तट्टू में संचालित किया गया था जिसे नीप्स दागर ने बनाया था।
फोटो लेने के लिए 8 घंटे का समय लगना अत्यधिक प्रतीत हो सकता है, लेकिन उस समय की तकनीक को माध्यम से बताया जाता है कि एक सुर्य की किरण निभाने में यह समय लगता था। यह तकनीक विकसित करने में भी बहुत समय लगा, और इसके बाद भी फोटोग्राफी का विकास निरंतर हुआ है।
फोटोग्राफी की दुनिया ने बदलाव का सामना किया है और आधुनिक तकनीक और साधनों के साथ उसे और भी सुगम और तेज बना दिया है। आज के दौर में हम फोटो कैमरे के आद्यात्मिक रूपों का आनंद ले रहे हैं जो हमें केवल कुछ सेकंडों में एक माध्यमिक स्मार्टफोन द्वारा अद्वितीय छवि लेने की अनुमति देते हैं।
दुनिया की पहली फोटो उत्पन्न करने में लगे 8 घंटे वास्तव में हमें याद दिलाते हैं कि विज्ञान के विकास का सफर कितना लम्बा है और हमारे आधुनिक तकनीकी युग की महत्त्वाकांक्षा को उजागर करते हैं। फोटोग्राफी एक रोमांचकारी कहानी है जो हमें हमारे अद्वितीय और सुंदर दुनिया के असीम सौंदर्य को दिखाती है।
1826 में खींची फोटो, 1839 से मनाया गया यह दिन
1826 में दुनिया की पहली फोटो खींची गई थी। फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इस प्रक्रिया का 9 जनवरी, 1839 को ऐलान किया। इसके बाद 19 अगस्त, 1839 को फ्रांस सरकार ने इस प्रोसेस को बिना कॉपीराइट दुनिया को उपहार के तौर पर देने का ऐलान किया। तभी से 19 अगस्त को यह दिन मनाया जाने लगा।
कैसे खींची गई थी तस्वीर
पूर्वी फ्रांस के सैंट-लूप-डे-वैरेनीज में रहने वाले जोसेफ नाइसफोर का जन्म 1765 में हुए थे। वे साइंस के प्रोफेसर भी रहे। लेकिन कला में रुचि और विज्ञान की मदद से उन्होंने फोटोग्राफी मशीन बनाने की ठानी।
नाइसफोर ने 1826 में वसंत के दिन पहली फोटो खींची। लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं था कि फोटो खींचनी किसकी है। जोसेफ ने अपनी खिड़की पर खड़े होकर अचानक से एख फोटो खींची। इसमें बाहर का दृश्य कैप्चर हो गया। बस यही दुनिया पहली पहली तस्वीर बन गई। इसे नाम दिया गया, ‘व्यू फ्रॉम द विंडो एट ली ग्रास’।
6 साल की तैयारी के बाद 8 घंटे में ली गई तस्वीर
नाइसफोर के लिए दुनिया की पहली फोटो खींचना इतना आसान नहीं था। उन्होंने और उनके मित्र लुइस डॉगेर इसके लिए 1820 से मेहनत कर रहे थे। वे कई बार असफल भी हुए। पहले दोनों ने टिन और कॉपर जैसी मेटल पर फोटो उतारने की कोशिश की थी। यह कोशिश असफल साबित हुई। इसके बाद यह बिटुमिन-एसफाल्ट यानी डामर की प्लेट पर प्रयोग किया गया।
बताया जाता है कि 18वीं सदी में ही कैमरा बन गया था। लेकिन फोटो प्लेट नहीं बनी थी। इसके समस्या को निपटाने के लिए जोसेफ और लुइस ने डॉगेरोटाइप प्रक्रिया खोजी। इसके बाद दोनों को पहली फोटो लेने में 6 साल लगे। इस फोटो को ‘ऑब्सक्यूरा’ नाम के कैमरे से लिया गया था। फोटो खींचने की पूरी प्रक्रिया में 8 घंटे का वक्त लगा था।
कब खींची गई दुनिया की पहली कलर फोटो
कलर फोटो को दुनिया के सामने लाने वाले पहले शख्स स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल थे। 17 मई 1861 में दुनिया की पहली रंगीन फोटो क्लिक की गई थी। साथ ही कलर फोटोग्राफी में थॉमस सटन का भी विशेष योगदान माना जाता है। उन्होंने एसएलआर कैमरे का आविष्कार किया था। इतना ही नहीं 1959 में पैनोरोमिक कैम, वाइड एंगल से दुनिया को रुबरू कराने वाले थॉमस ही थे।
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