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Bus Superstition: इस राज्य में बस के अंदर पहले महिला यात्री का चढ़ना माना जाता है अपशकुन! पढ़ें विस्तार से

भुवनेश्वर। ओएससीडब्ल्यू ने भेदभाव को बढ़ावा देने वाले अंधविश्वास को दूर करने के लक्ष्य से राज्य परिवहन विभाग को यह आदेश जारी

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Bansal news
Bus Superstition: इस राज्य में बस के अंदर पहले महिला यात्री का चढ़ना माना जाता है अपशकुन! पढ़ें विस्तार से
भुवनेश्वर। ओडिशा राज्य महिला आयोग (ओएससीडब्ल्यू) ने भेदभाव को बढ़ावा देने वाले अंधविश्वास को दूर करने के लक्ष्य से राज्य परिवहन विभाग को यह आदेश जारी करने के लिए कहा है कि महिला अगर बस में सवार होने वाली
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पहली यात्री है तो उसे ना रोका जाए।
बसों के मालिकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश
महिला आयोग द्वारा किए गए अनुरोध पर ओडिशा के राज्य परिवहन प्राधिकरण(एसटीए) ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को ऐसी बसों के मालिकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो महिलाओं को बसों में
बतौर पहली यात्री सवार नहीं होने देते। एसटीए ने सभी अधिकारियों को पत्र में लिखा, ''राज्य में नियमित तौर पर बसों की जांच करें और जब भी ऐसे किसी बस मालिक या सहचालक का पता चले जो बस में महिलाओं को पहले यात्री के रूप
में सवार नहीं होने देते तो उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 192ए के तहत चालान काटें।
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''महिला आयोग का परिवहन विभाग को आदेश एक याचिका के निस्तारण पर आया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि बस के कर्मचारी महिला यात्रियों को बतौर पहले यात्री के रूप में सवार होने से रोकते हैं क्योंकि वे इसे अपशगुन मानते
हैं।
महिला सवार होती है तो होता है  वाहन दुर्घटनाग्रस्त 
आयोग ने पाया कि यह अतार्किक और भेदभावपूर्ण प्रथा इस अंधविश्वास से उपजी है कि यदि वाहन में सबसे पहले यात्री के तौर पर कोई महिला सवार होती है तो वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है या दिन में व्यापार में घाटा हो सकता है।
सोनपुर के सामाजिक कार्यकर्ता घासीराम पांडा ने महिला आयोग को अर्जि दी थी जिसमें एक महिला यात्री को कथित रूप से भुवनेश्वर के बारामुंडा बस स्टैंड पर पहली यात्री के तौर पर बस में चढ़ने से रोके जाने का उल्लेख किया गया था।
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आयोग ने 26 जुलाई को परिवहन आयुक्त सह अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को लिखे पत्र में कहा, ''इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हमारी जानकारी में आई हैं।
 बसों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए  आरक्षित  करने का दिया सुझाव 
इसलिए, महिला यात्रियों को भविष्य में होने वाली असुविधाओं से बचाने और उनकी रक्षा एवं गरिमा की सुरक्षा के लिए आयोग आप से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता है कि महिलाओं को सरकारी और निजी दोनों बसों में पहले यात्री के
रूप में सवार होने दिया जाए। शीघ्र कार्रवाई करते हुए ओएससीडब्ल्यू को सूचित किया जाए।'' आयोग ने साथ ही परिवहन विभाग को बसों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया है।अधिकारी ने कहा,
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''परिवहन विभाग, बस मालिकों से अपने कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए निर्देश देगा। बसों में महिलाओं के साथ भेदभाव गलत है। उन्हें पहली प्राथमिकता मिलनी चाहिए।''
ओडिशा प्राइवेट बस ऑनर्स एसोसिएशन के सचिव देबेंद्र साहू ने कहा, ''हम महिलाओं को माता लक्ष्मी और काली का रूप मानते हैं। महिलाएं भगवती देवी को दर्शाती हैं। इसलिए महिलाओं से इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।''
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