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ISRO Mangalyaan Mission: इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है जहां पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के मंगलयान मिशन का ईंधन खत्म हो गया है जहां पर 2014 को शुरू हुई इस मिशन में 8 साल और 8 दिन का सफर पूरा हो गया है। यह मिशन 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था।
जानें क्यों खास रहा मिशन
आपको बताते चलें कि, यह मंगलयान के मिशन की शुरूआत 5 नवंबर 2013 को हुई थी जहां पर केवल 6 महीने के लिए ही मंगलयान को मार्स पर भेजा गया था। जहां पर इसरो ने इस मिशन को केवल 6 महीने के लिए भेजा था जिसके सफलता के साथ उसने 8 सालों से भी ज्यादा वक्त ग्रह पर बिताया। आपको बताते चलें कि, उस समय के इस यान इस पूरे मिशन में ISRO ने 450 करोड़ रुपए ही खर्च किए थे। केवल 6 महीने में इसे डिजाइन किया गया था।इस मिशन के साथ भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था, जो पहली कोशिश में ही मार्स पर पहुंच गया था। स्पेसक्राफ्ट ने मिशन के दौरान मंगल की 1000 से भी ज्यादा तस्वीरें भेजीं है।
जानें क्या रही खासियत
आपको बताते चलें कि, इस मंगलयान को लेकर वैज्ञानिकों ने बताया कि, स्पेसक्राफ्ट में लगी बैटरी सूरज की रोशनी से चार्ज होती थी। उसके बिना यह एक घंटा 40 मिनट से ज्यादा नहीं चल सकती थी। जहां पर अब कई ग्रहण लगने की वजह से बैटरी चार्ज न हो सकी और मंगलयान का अंत हो गया। आपको बताते चलें कि, मंगलयान में केवल 5 पेलोड्स थे। इनका वजन महज 15 किलोग्राम था। इन 5 उपकरणों के नाम थे- मार्स कलर कैमरा (MCC), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (TIS), मंगल के लिए मीथेन सेंसर (MSM), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (MENCA) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP) रहे है।
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