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ISRO GSLV-F12 Satellite: आज इसरो ने लॉन्च किए सैटेलाइट, भारत देश के नाम बड़ी उपलब्धि

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में जीएसएलवी-एफ12 सैटेलाइट लॉन्च किया है।

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Bansal News
ISRO GSLV-F12 Satellite: आज इसरो ने लॉन्च किए सैटेलाइट, भारत देश के नाम बड़ी उपलब्धि

आंध्र प्रदेश। ISRO GSLV-F12 Satellite इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है जहां पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में जीएसएलवी-एफ12 सैटेलाइट लॉन्च किया है इसके साथ ही आज नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 लॉन्च किया।

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जानिए NavIC सैटेलाइट के बारे में

आपको इसरो द्वारा लॉन्च किए गए NavIC 7 सैटेलाइट की बात की जाए तो, रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बनाया गया है। यहां पर बताते चले कि, इसे एक तरह से अब और ज्यादा सैटेलाइट जोड़कर बढ़ाया जा रहा है। NavIC को 2006 में अप्रूव किया गया था। इसके 2011 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी लेकिन यह 2018 में ऑपरेशनल हो पाया।अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य इस प्रक्षेपण के जरिए नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करना है।चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया गया। यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ।

दूसरे लॉन्च पैड से इस सैटेलाइट ने भरी उड़ान

आपको बताते चले कि, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 10:42 बजे GSLV ने उड़ान भरी। लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग हो जाएगा। इसने एनवीएस-1 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय किया गया। यहां पर आगे बात करें तो, इसमें  इंजीनियरों ने सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने के लिए ऑर्बिट-रेजिंग मैनुवर परफॉर्म किए जाएंगे।

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नाविक सेवाओं को मिलेगा मौका

आपको बताते चले कि, दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है क्योंकि इससे नाविक सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी और यह उपग्रह भारत तथा मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।इसरो ने बताया कि नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से उपयोगकर्ता की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है।

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परमाणु घड़ी का किया प्रक्षेपण

प्रक्षेपण के कुछ मिनट बाद रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया।एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण लेकर गया है। पूर्ववर्ती की तुलना में, दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी होगी। इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया जाएगा।

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जीएसएलवी की छठी उड़ान

अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है। इसरो ने कहा कि सोमवार का मिशन स्वदेशी क्रायोजनिक चरण के साथ जीएसएलवी की छठी परिचालन उड़ान है।

ISRO GSLV-F12 Satellite:
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