Oil Prices Increase: इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तनाव का असर मध्य एशिया में भी देखने को मिल रहा है। वहीं, बीते दिन रविवार को इजराय और हिजबुल्लाह के बीच एक के बाद एक हमलों से कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ गया है। बढ़ते तनाव के कारण ऑइल सप्लाई बाधित होने का डर सबको सता रहा है। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्याज दरों की कटौकी के फैसले ने भी तेल की डिमांड को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।
यह दोनों की कारण कच्चे तेल की कीमतों को काफी प्रभावित कर रहे हैं। जबकि कतर में हमास और इजरायल के बीच युद्धविराम की चर्चा पर भी किसी तरह का हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, मध्यस्थता कर रहे देशों ने भी अभी तक हार नहीं मानी है और उनका कहना है कि यह कोशिश एक दिन रंग जरूर लाएगी।
कच्चे तेल की आसमान छूती कीमत
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ता तनाव अब अपने चरम पर पहुंच गया है। दोनों की तरफ से ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे हैं, जिसका असर बाजार पर भी साफ देखा जा रहा है। युद्ध की आशंका के बीच सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। वहीं, फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती के संकेत भी दिए हैं। ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत में 37 सेंट तक की बढ़ोत्तरी आई है। यह 79.37 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है।
वहीं, अमेरिकी क्रूड फ्यूचर भी 36 सेंट्स बढ़ गया है। आपको बता दें कि बीते 10 महीने से इजराय और हिजबुल्लाह के बीच जारी तनाव के बाद यह सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इजरायल ने भी यह माना है कि उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर को इस हमले से काफी नुकसान पहुंचा है।
अमेरिका और ईरान में बढ़ती रार
लेबनान में स्थित कट्टरपंथी ईरान समर्थित संगठन हिजबुल्लाह ने अपने कमांडर की मौत का बदला लेने के लिए ताबड़तोड़ हमले किए हैं। वहीं, इजरायल ने इससे बचने के लिए मैदान में अपने 100 जेट उतार दिए हैं और जवाबी कार्रवाई भी की है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच इस हमले को लेकर अमेरिकी ने भी मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। ऐसे में ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज कटौती का ऐलान करने के बाद ही तेल की मांद में बढ़ोतरी काफी हद तक बढ़ गई थी।
कनाडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी एनएसए केज सुलीवन ने बताया कि अमेरिका अब भी युद्ध विराम के समझौते को लेकर काहिरा में प्रयास कर रहा है। युद्ध विराम के लिए अमेरिका के साथ-साथ मिस्त्र और कतर भी मध्यस्थता में जुटा हुआ है। हालांकि, दोनों तरफ से ही अब तक सहमति नहीं जताई गई है।
मध्यस्थता कर रहे देशों ने इजरायल के सामने भी कई विकल्प रखें हैं, जिसमें फइलादेल्फी कॉरिडोर का विकल्प शामिल था जो कि गाजा पट्टी के बीच होकर मिस्त्र तक खोली जा सकती है। हालांकि, दोनों ही देशों ने इस बात को मानने से साफ इनकार कर दिया था।
चर्चा के कारण हुई हमले में देरी- हिजबुल्लाह
इसको लेकर इजरायल का कहना है कि हमास पहले सभी बंधकों को रिहा करे। वहीं, हमास का कहना है कि पहले इजरायल गाजा पट्टी से बाहर निकल जाए, इसके बाद ही वह कोई मांग को मानेंगे। प्रस्तावों को लेकर एजिप्ट और कतर के प्रतिनिधि हमास के नेताओं से मिले थे। रविवार को इजरायल के अधिकारियों ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया था।
जुलाई के महीने में हमास ने अमेरिका के प्रस्ताव को मान लिया था। उसने 16 दिन के भीतर सैनिकों को रिहा करने को कहा था। हालांकि, तेहरान में हमास चीफ की हत्या के बाद सारे समझौते एक बार फिर अधूरे लटक गए थे।
इजरायल के द्वारा किए गए हमले में हिजबुल्लाह के चीफ कमाडंर फुआद शुक्र की मौत हो गई थी। इसी का बदला लेने के लिए हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हमला बोल दिया। इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि यह कहानी का अंत नहीं है। वही, हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने इजरायल पर 320 कत्यूषा रॉकेट दागे हैं जो कि उनके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएंगे। हिजबुल्लाह का कहना है कि गाजा में युद्धविराम की चर्चा के बीच फसे हमला करने में देरी हो गई। वहीं, इजरायल ने हिजबुल्लाह के बयान को बेबुनियादी बताया है।
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