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साजा। Chhattisgarh Election Result 2023: छत्तीसगढ़ में इस बार कई सीटों के चुनावी नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे। डिप्टी सीएम समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा का नतीजा भी बेहद चौंकाना वाला। यहां सात बार के विधायक को एक मजदूर ने भारी वोटों से चुनाव हरा दिया है।
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बता दें, साजा निर्वाचन क्षेत्र के बिरनपुर गांव में अप्रैल 2023 में हुए सांप्रदायिक दंगों में मारे गए भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर ने 1 लाख 1 हजार 789 वोट पाकर जीत दर्ज की, जबकि मंत्री रविंद्र चौबे महज 96,593 वोटों पर ही सिमट कर रह गए।
पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ सकते थे साहू
विधानसभा चुनाव के दौरान ईश्वर साहू ने कहा था कि अब क्षेत्र की जनता ही उन्हें न्याय दिलाएगी। रविंद्र चौबे का हारना इसलिए भी काफी चौंकाने वाला है, क्योंकि वे सात बार के विधायक रह चुके हैं और आठवीं बार चुनावी मैदान में थे। जबकि ईश्वर साहू एक गरीब किसान हैं, जिसका राजनीति के साथ दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है।
ईश्वर साहू विधानसभा चुनाव तो क्या, ग्राम पंचायत का भी चुनाव लड़ने की कल्पना नहीं कर सकते थे। लेकिन सांप्रदायिक हिंसा में हुई बेटे की मौत के बाद साहू को न्याय नहीं मिला, तो क्षेत्र की जनता उनके साथ हो गई।
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संभवतः यही वहज है कि बीजेपी ने ईश्वर साहू को टिकट देकर मैदान में उतार दिया। बीजेपी की यह रणनीति काम कर गई। सहानुभूति और न्याय की लहर में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रविंद्र चौबे को पांच हजार वोटों के अंतर से हरा दिया।
साजा में अमित शाह ने की थी रैली
कैंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ईश्वर साहू के पक्ष में एक आमसभा की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भुवनेश्वर को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी हमारी है। कोई भी कानून के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता है। हत्या के जिम्मेदार सलाखों के पीछे ज़रूर जाएंगे।
ऐसे हुई थी ईश्वर के बेटे की मौत?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में अप्रैल 2023 में यहां के स्कूल में हुई मारपीट हुई थी, जिसने सांप्रदायिक हिंसा का रंग ले लिया था।
बिरनपुर में हुए इन दंगों के दौरान कई घर जला दिए गए और 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इन्हीं में से एक मृतक भुवनेश्वर साहू था।
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छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भुवनेश्वर के परिवार को मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन उनके परिजनों ने इसे लेने से इनकार कर दिया। इसके अलावा प्रशासन की कार्रवाई से जनता संतुष्ट नहीं थी और लगातार भुवनेश्वर को न्याय दिलाने की मांग की जा रही थी।
1985 में पहली बार विधायक बने थे चौबे
कांग्रेस के दिग्गज नेता रविंद्र चौबे 1985 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वे अविभाजित मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं।
2013 के चुनाव में उन्हें पहली बार 9620 वोटों के साथ हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2018 में उन्होंने फिर से 31,535 वोटों के बड़े अंतर के साथ जीत दर्ज की थी। वहीं अब 2023 में उन्हें दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा है।
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