नई दिल्ली। हम जब भी किसी भारी चीज को पानी में डालते हैं तो वो डूब जाते है। भारी से मतलब है लोहा-पत्थर आदी। ऐसा उस चीज के साथ होता है, जो सॉलिड होती है। मगर आपने गौर किया होगा कि बर्फ के साथ ऐसा नहीं होता। एक बर्फ चाहे कितनी ही भारी क्यों न हो, वो पानी में डूबने की बजाय तैरने लगती है। अब सवाल खड़ा होता है कि ऐसा क्यो?
कोई चीज पानी पर कैसे तैरती है?
ऐसा क्यों होता है, यह जानने से पहले हम यह जान लेंगे कि कोई चीज पानी पर कैसे तैरती है। बतादें कि किसी भी चीज का पानी पर तैरना उसके घनत्व पर निर्भर करता है। इसका मतलब है कि जिस चीज का घनत्व पानी से ज्यादा होगा, वो चीज पानी में डूब जाएगी। वहीं, अगर कोई चीज अपने घनत्व से ज्यादा पानी को हटा पाती है, तो वो तैरने लगती है।
बर्फ भी तो भारी है?
बतादें कि किसी भी ठोस पदार्थ में तरल पदार्थ की तुलना में ज्यादा मॉलिक्यूल्स होते हैं। ये मॉलिक्यूल्स बेहद पास-पास होते हैं। जिसके कारण ही ये कठोर हो जाते हैं। साथ ही इनका वजन भी बढ़ जाता है। ऐसे में ठोस वस्तु का घनत्व पानी के मुकाबले ज्यादा होता है और वो पानी में डूब जाती है। यहां सवाल उठता है कि बर्फ भी भारी है, फिर वह पानी पर कैसे तैरती है?
बर्फ का घनत्व पानी की तुलना में काफी कम होता है
गौरतलब है कि जब भी कोई तरल पदार्थ ठोस में बदलता है तो उसका आयतन घट जाता है और वो भारी हो जाती है। साथ में, उसका घनत्व तापमान के कम होने के साथ घटता है। यही वजह है कि जमने पर बर्फ का घनत्व पानी की तुलना में काफी कम हो जाता है। कम घनत्व होने की वजह से बर्फ, पानी पर तैरने लगती है। साइंस की भाषा में कहें तो पानी के बाकी पदार्थों से अलग होने की वजह इसकी हाइड्रोजन बांडिंग है। पानी के मॉलिक्यूल्स हाइड्रोजन बांड से जुड़े होते हैं। इसमें हाइड्रोजन के दो पॉजिटव चार्ज और ऑक्सीजन का एक निगेटिव चार्ज होता है।
बर्फ में मॉलिक्यूल्स ज्यादा पास नहीं आ पाते
जब पानी ठंडा होकर ठोस होना शरू होता है, तो उसमें हाइड्रोजन आयन ऑक्सीजन आयन को दूर रखने के लिए अपनी खास स्थिति बना लेते हैं, जिससे मॉलिक्यूल्स ज्यादा पास नहीं आ पाते और उसका घनत्व नहीं बढ़ पाता है। इसका मतलब है कि पानी के लिए घनत्व तापमान में कमी के साथ घटता है। जिससे एक बर्फ पानी की तुलना में कम घनी हो पाती है।