International Family Day 2023: जहां पर आज 15 मई को दुनिया में परिवार दिवस मनाया जा रहा है वहीं पर इस खास मौके पर परिवार की अहमियत किसी इंसान के लिए कितनी खास होती है वह अलग ही महत्व रखता है। एक परिवार समाज की नींव होती है तो वही परिवार एकल हो या संयुक्त हर इंसान का होना एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में आइए जानते है परिवार दिवस का इतिहास और क्यों मनाया जाता है।
जानिए क्यों मनाया जाता है परिवार दिवस
आपको बताते चले कि, परिवार दिवस आज के लिए जहां पर बेहद खास है वहीं पर इसकी शुरूआत आदिमानव के जमाने से हो गई थी, जहां पर इससे अलग कई लोगों के लिए शायद परिवार की अहमियत नहीं हो लेकिन किसी मुसीबत के लिए सबसे अच्छा सहारा केवल परिवार और सदस्य होते है। बात साल 1994 की है जहां पर संयुक्त राष्ट्र ने लोगों के बीच परिवारों के महत्व को समझाने के लिए परिवार दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा, कई देशों ने इसमें सहमति जताई तो वहीं पर साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने 15 मई के दिन अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया। जहां पर परिवार दादा-दादी से लेकर छोटे बच्चों तक माना जाता है। यहां पर इसके बाद इसमें कई रिश्ते बुनते जाते हैं और परिवार का वृक्ष बढ़ता जाता है।
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जानिए कितना महत्व रखता है परिवार
आपको बताते चले कि, अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने का उद्देश्य आमतौर पर परिवार के महत्व पर जोर देने के लिए किया गया है जिसमें अगर हमारा परिवार मजबूत होता है तो संस्थाएं और समुदाय भी मजबूत मानी जाती है। यहां परिवार एक वृक्ष की तरह होता है जिसकी शाखाएं सदस्य मानी जाती है। एक खुशहाल परिवार एक वास्तविक दुनिया का उदाहरण जहां पर पेश करता है तो वहीं पर कैसे परिवार इंसान के जीवन में बड़े बदलाव कर सकता है. इंसान को परिवार के साथ ही हर काम करना चाहिए और परिवार ही इंसान को हर मुश्किलों से बचाता है, हर खुशी में संभालता है।
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जानिए क्या होता है एकल और संयुक्त परिवार
आपको बताते चले कि, यहां पर परिवार दो तरह के अपने भारत देश में माने जाते है जिसमें एकल और संयुक्त परिवार, जहां पर दोनों ही हर इंसान के जीवन में मौजूद होते है।
संयुक्त परिवार-
संयुक्त परिवार के जीवन में होने से यह जहां पर व्यक्ति को रिश्ते निभाना सिखाता है, तो जन्म से ही संस्कार की विधा परिवार से मिलने लगती है। संयुक्त परिवार की रोनक अलग होती है। पुराने समय में अधिकांश परिवार संयुक्त ही होते थे परिवार में हर व्यक्ति चाहे वह महिला हो या पुरुष वह मिलकर काम करते थे, मिलकर जिम्मेदारीयां उठाते थे, और सभी एकजुट होकर रहते थे पहले लोग रिश्तो का महत्व समझते थे। आज के समय में भी अधिकांश ऐसे परिवार है जहां सभी लोग एक-साथ मिलकर रहते हैं सभी अपनी जिम्मेदारीयां समझते हैं। संयुक्त परिवार में सभी त्योहार मिलजुल बनाते हैं और बड़े परिवार में हर त्योहार की रोनक अलग होती है। संयुक्त परिवार में सभी सुख और दुःख की घड़ी में साथ निभाते हैं अपने परिवार पर आयी हर मुसीबत का मिलकर सामना करते हैं।
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एकल परिवार-
यहां पर एकल परिवार की बात की जाए तो, एकल परिवार में व्यक्ति रिश्तों की अहमियत नहीं समझ पाता है व्यक्ति अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पाता है जो संयुक्त परिवार में मिलते हैं, संयुक्त परिवार में बच्चें सभी से कुछ ना कुछ सीखते हैं, दादा-दादी की सिख लेते हैं। एकल परिवार आज के समय में काफी नजर आते है तो वहीं पर संयुक्त परिवार लुप्त से हो गए है क्योंकि माता-पिता अपने पैतृक घर को छोड़ना नहीं चाहते तो वहीं पर बेटा नौकरी के चलते घर से दूर परिवार के साथ रहते है। ऐसे में एकल परिवारो की संख्या बढ़ती जा रही है।