Intereesting Facts : भारत में बना था दुनिया का पहला शैंपू, राजघराने की महिलाएं करती थीं उपयोग : बालों की सुंदरता बढ़ाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में जिस पैक्ड तरल पदार्थ का उपयोग शैंपू के रूप में किया जा रहा है, दरअसल इसका आविष्कार भारत में ही हुआ था। आज भले ही मल्टीनेशनल कंपनियां नाए-नए ब्रांड मार्केट में उतार रहीं हों लेकिन भारतीय महिलाएं कई साल पहले से ही शैंपू का इस्तेमाल करती आ रही हैं।
Royal shampoo
शैंपू को भारतीय नाम चंपू से लिया गया है
दरअसल, शैंपू को भारतीय नाम चंपू से लिया गया है। चंपू एक संस्कृत शब्द माना जाता है, जिसका आर्थ बालों की चंपी से होता है। भारतीय इतिहास में पढ़ने मिलता है कि राजवंश की महिलाएं और रानियां बालों की सुंदरता बढ़ाने के लिए रीठा और आंवला जैसी कई तरह की जड़ीबूटियों का इस्तेमाल किया करती थीं। लेकिन जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने देखा कि यहां ऊंचे घरानों में बालों को सुंदर बनाए रखने के लिए किसी तरह के विशेष पेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। फिर क्या था, अंग्रेज इस पेस्ट को अपने साथ अपने वैज्ञानिकों के पास ले गए और इसे बोतल में बंद करके उपयोग करने लगे। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने इस मार्केट में बेचना शुरू कर दिया।
जड़ीबूटियों के स्थान पर पैक्ड शैंपू का उपयोग
shampoo
जैसे-जैसे समय बदला तो भारत में भी जड़ीबूटियों के स्थान पर पैक्ड शैंपू का उपयोग होने लगा। और आज के समय में ऐसा बहुत कम ही देखने के लिए मिलता है कि जड़ीबूटियों से बने हर्बल शैंपू का उपयोग किसी घर में किया जा रहा हो। इस भारतीय हर्बल शैंपू का स्थान अब पूर्ण रूप से बड़ी-बड़ी कंपनियों के पैक्ड शैंपू द्वारा लिया जा चुका है। भरतीय चंपू की एक खास बात यह थी कि यह किसी भी तरह से बालों के लिए नुकसान नहीं पहुंचता था। इसके उपयोग से बालों की सुंदरता बनी रहती थी। बाल घने होते थे। भरतीय आयुर्वेद में इस तरह की कई जड़ीबूटियों का जिक्र मिलता है, जन्हें बालों की सुंदरता बनाए रखने के लिए उपयोग किया जा सकता है।