नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वाहन चोरी के मामले की सुनवाई में कहा है कि अब कोई भी इंश्योरेंस कंपनी वाहन चोरी की सूचना देरी से मिलने पर वह पिड़ीत को क्लेम देने से मना नहीं कर सकती। कोर्ट ने यह फैसला कुछ दिन पहले एक ट्रक चोरी के मामले के केस में दिया। जिसमें शिकायतकर्ता ने वाहन चोरी के तूरंत बाद ही एफआईआर( प्राथमिक जानकारी पंजीकरण) पुलिस थाने में कर दी थी। लेकिन इंश्योरेमस कंपनी को सूचना देर से मिलने की वजह से कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
एक व्यक्ति ने 4 नवम्बर, 2007 को अपने ट्रक चोरी होने की FIR पुलिस थाने में की थी। इसके बाद ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के पास वाहन चोरी के क्लेम की सूचना दी। कंपनी ने शिकायतकर्ता को क्लेम देने से मना कर दिया। इसके पिछे वजह यह बताई गई कि वाहन चोरी की जानकारी देर से दी गई। जिसके कारण क्लेम नहीं मिल सकता।
जानें क्या है, वाहन चोरी के मामले पर कोर्ट का फैसला
शिकायत कर्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में केस किया लेकिन वहा इंश्योरेंस कंपनी केस जीत गई थी। इसके बाद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने 11 फरवरी को (NCDRC) के फैसले को निरस्त करते हुए कहा था कि, बीमा कंपनी को चोरी की सूचना देरी से मिलने पर वह शिकायती को क्लेम के दावे से इनकार नहीं कर सकती। जब व्यक्ति पहले ही थाने में शिकायत कर चुका था। शिकायत पर पुलिस ने एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी की थी। लेकिन अभी तक ट्रक बरामद नहीं हो पाया है। कोर्ट ने कहा है कि जब कोई वाहन चोरी होता है तो सबसे पहले उसकी शिकायत पुलिस थाने में की जाती है। जो कि शिकायतकर्ता ने किया। वाहन को खोजने का काम पुलिस का था जो नहीं कर पाई। पुलिस की अंतिम रिपोर्ट से यह साबित हो जाता है कि वाहन चोरी हुआ था।