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इंदौर: अंडरवर्ल्ड की पहली लेडी डॉन अर्चना शर्मा की कहानी, जिसे किडनैपिंग क्विन के नाम से भी जाना जाता है

इंदौर: अंडरवर्ल्ड की पहली लेडी डॉन अर्चना शर्मा की कहानी, जिसे किडनैपिंग क्विन के नाम से भी जाना जाता हैIndore: Story of underworld first lady don Archana Sharma, also known as Kidnapping Quinn nkp

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Bansal Digital Desk
इंदौर: अंडरवर्ल्ड की पहली लेडी डॉन अर्चना शर्मा की कहानी, जिसे किडनैपिंग क्विन के नाम से भी जाना जाता है

भोपाल। कहते हैं कि सपने बड़े देखने चाहिए। लेकिन इतने भी बड़े नहीं देखने चाहिए कि वो हम पर ही हावी हो जाए। दरअसल, आज हम आपको एक ऐसी लेडी डॉन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे किडनैपिंग क्विन के नाम से भी जाना जाता था। नाम था अर्चना बालमुकुंद शर्मा। अर्चना को अंडरवर्ल्ड की पहली महिला डॉन के रूप में भी जाना जाता है।

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बुलंद इरादे और ऊंचे ख्वाबों वाली लड़की थी

90 के दशक में अर्चना काफी सुर्खियों में रही। उज्जैन जैसे धार्मिक शहर में उसका का जन्म हुआ था। उसके पिता बालमुकुंद शर्मा रिटायर्ड कॉन्सटेबल थे। अपने माता-पिता की चार संतानों में सबसे बड़ी अर्चना घर की लाडली थी। बचपन से ही अर्चना काफी प्रतिभाशाली और रचनात्मक थी। उसका अधिकांश समय चित्रकारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बीतता था। वो एक बुलंद इरादे और ऊंचे ख्वाबों वाली लड़की थी। सीता का किरदार उसे बेहद प्रिय था, वो अक्सर रामलीलाओं में इस किरदार को निभाया करती थी। रचनात्मक होने के साथ ही वो पढ़ाई-लिखाई में भी काफी अव्वल थी। केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली अर्चना ने एक दिन अचानक से स्कूल छोड़ने का फैसला किया। घरवाले उसके फैसले से हैरान थे। हालांकि पुलिस में जाने की उसकी दिलचस्पी देख परिजन शांत हो गए। उसने पुलिस सेवा के लिए परीक्षा भी पास कर ली और भर्ती भी हो गई। यहां तक तो सब कुछ अच्छा था। लेकिन मेरे दोस्त कहानी में अभी ट्विस्ट बाकी है।

परिजनों से संबंध तोड़कर वह भोपाल आ गई

नौकरी तो उसे मिल गई थी पर वो पुलिस के इस नौकरी से भी संतुष्ट नहीं थी और उसने नौकरी छोड़ दी। परिजनों से उसने कहा कि इस काम में काफी मेहनत है। वो यहां इतनी मेहनत करके भी अपने ख्वाब को कभी भी पूरा नहीं कर सकती। उसके परिवार को यह फैसला नागवार गुजरा। इसके बाद परिजनों से संबंध तोड़कर वह भोपाल आ गई। यहां उसने रिसेप्शनिष्ट की नौकरी की। भोपाल में उसके संपर्क में कई लोग आए। एक नेता से भी उसका ना जुड़ा। उसका प्यार भी परवान चढ़ा लेकिन वह किसी मुकाम तक नहीं पहुंच सका। इसके बाद वो भोपाल से मुंबई चली गई।

मुंबई में वो एक आर्केस्ट्रा ग्रुप से जुड़ गई थी

मुंबई में उसकी ख्वाहिश एक अभिनेत्री और गायिका बनकर बॉलवुड में छा जाने की थी, यहां वह अपने ख्वाब को पूरा भी कर सकती थी। लेकिन उसने हमेशा संघर्ष करने के बजाए शॉर्टकट को चुना। अर्चना मुंबई बनने कुछ और आई थी और यहां बन कुछ और गई। मुंबई में उसने बाबा सहगल के आर्केस्ट्रा ग्रुप को ज्वाइन कर लिया। ये ग्रुप खाड़ी देशों में कार्यक्रम प्रस्तुत किया करता था। यहां उनकी मुलाकात अहमदाबाद के एक बिजनेसमैन से हुई। दोनों में प्यार हुआ और मामला शादी तक पहुंच गया। लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मुंजूर था। किसी कारण से शादी टूट गई। इसके बाद वो किसी तरह से दुबई पहुंच गई।

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दुबई में बबलू श्रीवास्तव के प्यार में पड़ी

दुबई में वह डॉन अनीस इब्राहिम के संपर्क में आई और उनकी टीम का हिस्सा बन गई। अनीस, अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का भाई था। यहां पर उसकी मुलाकात छोटा राजन के दायें हाथ ओम प्रकाश बबलू से हुई। दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए। बबलू श्रीवास्तव उसके प्यार में पागल हो गया था। उसके प्रति वो पजेसिव भी हो गया था। आए दिन वह अपने लोगों से ही अर्चना को लेकर लड़ने भी लगा था। एक दिन वो अर्चना को लेकर दुबई से नेपाल आ गया। हालांकि अर्चना अब उसके पजेसिव नेचर से परेशान रहने लगी थी और उसने उससे छुटकारा पाने के लिए एक लंबी जुगत लगाने की सोची। उसने नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता दिलशाद बेग को अपने प्यार में पागल कर दिया। दिलशान बेग पर उसका प्यार सर चढ़कर बोलने लगा। उसने बबलू को अर्चना के जीवन से दूर करने के लिए ठिकाने लगाने का मंसूबा पाल लिया।

भारत आकर अपहरण सिंडीकेट को संभालने लगी

हालांकि, साल 1994 में बबलू श्रीवास्तव गिरफ्तार हो गया। उसके गिरफ्तार होते ही अर्चना भारत आ गई और उसके पूरे सिंडीकेट को संभाल लिया। अब वो अपहरण करने के साथ ही हत्या और न जाने कितने अपराधों में संलग्न हो गई। इस दौरान उसने कई उद्योगपतियों का अपहरण किया। वहीं तब तक बबलू को भी पता चल गया था कि अर्चना और दिलशाद काफी करीब आ चुके हैं। ऐसे में उसने साल 1998 में अपने शूटरों को भेजकर दिलशाद को मरवा दिया। उसकी हत्या के बाद अपने उपर से बबलू के प्यार को कम होता देख अर्चना एक बार फिर से नेपाल वापस चली गई। यहां वो डॉन फजल-उल-रहमान के साथ काम करने लगी।

शराब कोरोबारी के अपहरण के बाद सुर्खियों में आई

भारत आने से पहले तक अर्चना हाइड चल रही थी। लेकिन वो भारत में सबसे पहले सुर्खियों में तब आई जब उसने इंदौर में एक शराब कारोबारी का अपहरण कर लिया था। व्यापारी देर रात अपनी कार से घर लौट रहा था। तभी उसे सड़क किनारे एक लड़की दिखाई देती है। वो कार लेकर उसके पास पुहंचा और उससे चलने को बोला। उसे नहीं मालूम था कि वो लड़की अर्चना शर्मा है। अर्चना चुपचाप गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी को ड्राइवर चला रहा था। व्यापारी पीछे बैठा था वो उसके पास बैठ गई। कार चली ही थी कि एक आदमी आया और कार के ड्राइवर को हटाकर खुद कार चलाने लगा। व्यापारी कुछ समझ पाता उससे पहले ही अर्चना ने रिवाल्वर निकाल कर व्यापारी को चेताया, अगर भागने की कोशिश की तो मारे जाओगे। व्यापारी समझ चुका था कि उसका अपहरण हो चुका है।

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मप्र पर राज करने का था उसका इरादा

लेकिन कहते हैं ना किस्मत हमेशा साथ नहीं देती। कार रेड सिग्नल पर रूकी। अर्चना का ध्यान भटका और व्यापारी कार से निकलकर बाहर भाग गया। इस अपहरण के बाद लेडी डॉन चर्चा में आ गई। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो वो हैरान हो गई। अर्चना शर्मा का कनेक्शन गैंगस्टर हिन्दूसिंह यादव के साथ मिला। पहली बार अर्चना शर्मा का नाम किसी हाई प्रोफाइल मामले से जुड़ा था। पुलिस जबतक उस तक पहुंच पाती तब तक वो नेपाल निकल चुकी थी। पुलिस ने बताया था कि उसका इरादा शराब कारोबारों को अपहरण करके बड़ी राशि फिरौती के रूप में मांगने की थी। इसके बाद सारे पैसे को इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में लगाना था। ताकि प्रदेश में उसकी धाक जम जाए। लेकिन वो इस काम में असफल हो चुकी थी।

आज तक पुलिस के हाथ नहीं आई

नेपाल भागने की सूचना के बाद इंदौर पुलिस ने उसके खिलाफ चालीस देशों में अलर्ट जारी कर दिया। लेकिन वह इतनी शातिर निकली कि आज तक पुलिस के हाथ नहीं आई। अर्चना की खासियत कहें या अदा। उसके करीब जो भी जाता था उसे वह तुरंत अपने वश में कर लेती थी। अर्चना बिना संघर्षों की आंच में तपे वो सबकुछ पाना चाहती थी जिसकी उसको दिलीख्वाहिश थी पर शार्ट्कट्स का रास्ता आसान भले ही हो पर वो बर्बादी की ओर ही जाता है। अर्चना को देखकर तो यही लगता है। अर्चना इंदौर की सबसे पहली लेडी डॉन के रूप में प्रसिद्ध हुई।

बांग्लादेश में गोली लगने की आई थी खबर

साल 2010 में एक खबर आई कि अर्चना को बांग्लादेश में गोली मार दी गई है, लेकिन इसका आज तक खुलासा नहीं हो पाया है कि वो दुनिया से हमेशा के लिए विदा ले ली है या आज भी जिंदा है। वैसे आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें कमेंट बॉक्स में फीडबैक के रूप में बता सकते हैं, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसे शेयर कर सकते हैं।

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