इंदौर। देश के सबसे साफ शहर इंदौर Indore News में स्वच्छता के जरिये पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ‘‘शून्य अपशिष्ट’’ शादियों का नया चलन शुरू हो गया है। इस परिकल्पना के तहत विवाह समारोहों में अपशिष्ट का उत्सर्जन कम से कम रखने के जतन किए जा रहे हैं और इसके बाद भी जो कचरा निकल रहा है, उसका सुव्यवस्थित निपटान किया जा रहा है।
इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि आईएमसी के सफाई कर्मचारी सिद्धार्थ के हालिया विवाह समारोह में अतिथियों के स्वागत के बैनर से लेकर खाने-पीने के बर्तनों तक में पर्यावरण हितैषी सामग्री का इस्तेमाल किया गया। अधिकारी ने बताया कि सफाई कर्मी की इस ‘‘शून्य अपशिष्ट’’ शादी में नव युगल को आईएमसी की ओर से ‘‘होम कम्पोस्टिंग किट’’ (घर से निकलने वाले गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने के उपकरण) और विवाह समारोह में शामिल अतिथियों को कंपोस्ट खाद उपहार में दी गई। उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि यह कंपोस्ट खाद विवाह समारोह में गीले कचरे का मौके पर ही निपटान करके तैयार की गई थी।
आईएमसी के सहयोग से शहर में कचरा प्रबंधन स्टार्ट-अप ‘‘स्वाहा’’ चलाने वाले उद्यमी समीर शर्मा ने बताया, ‘‘हम पिछले एक महीने के भीतर दो शून्य अपशिष्ट शादियां करा चुके हैं। अगले दो महीने में हमारी ऐसी करीब 200 शादियां कराने की योजना है।’’ उन्होंने बताया कि ‘‘शून्य अपशिष्ट’’ शादियों की परिकल्पना के तहत विवाह समारोहों का आयोजन ‘3 आर’ (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) के स्वच्छता सूत्र के आधार पर किया जाता है। शर्मा ने बताया, ‘‘हम कचरा निपटान के अपने चलित वाहनों की मदद से विवाह समारोह के गीले कचरे को मौके पर ही कम्पोस्ट खाद में बदल देते हैं, जबकि सूखे कचरे को छह अलग-अलग श्रेणियों में इकट्ठा कर सीधे प्रसंस्करण संयंत्रों में भेज दिया जाता है।’’
उन्होंने बताया कि ‘‘शून्य अपशिष्ट’’ शादियों में प्लास्टिक, थर्माकोल और स्टायरोफोम से बनी किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता क्योंकि ऐसे उत्पादों से पर्यावरण को नुकसान होता है। शर्मा ने बताया कि इन दिनों शहर में रोजाना 300 से अधिक शादियां हो रही हैं और इस मौसम में करीब 5,000 विवाह समारोह अपेक्षित हैं जिनसे शहर पर कुल 3,500 टन गीले और सूखे कचरे का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है। उन्होंने दावा किया, ‘अगर ये सभी वैवाहिक आयोजन शून्य अपशिष्ट तरीके से हों, तो हम इनमें निकलने वाले कचरे की मात्रा को महज 100 टन पर सीमित कर सकते हैं।’