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Indore News: 40 साल फर्जी सर्टिफिकेट से की नौकरी, रिटायरमेंट से मात्र 2 साल पहले सजा, इतने साल पहले की थी शिकायत

Indore News: 40 साल फर्जी सर्टिफिकेट से की नौकरी, रिटायरमेंट से मात्र 2 साल पहले सजा, इतने साल पहले की थी शिकायत

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Sanjeet Kumar
Indore News: 40 साल फर्जी सर्टिफिकेट से की नौकरी, रिटायरमेंट से मात्र 2 साल पहले सजा, इतने साल पहले की थी शिकायत

   हाइलाइट्स

  • 2006 में की गई थी फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले की शिकायत
  • जांच में पुलिस को स्‍कूल से मिले असली जाति के सबूत
  • 2013 में जांच पूरी, फिर कोर्ट में चला ट्रायल, अब सजा
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इंदौर। Indore News: इंदौर पुलिस विभाग से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें पुलिस विभाग में नौकरी करने वाले एक जवान ने पूरे सिस्‍टम को ही धोखा दिया।

पुलिस में भर्ती होने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर 40 साल नौकरी की। इस बीच फर्जी  जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत भी की गई,

लेकिन वह नौकरी करता रहा और अब मात्र दो साल की नौकरी बची है तब उसे 10 साल की सजा हुई है।

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[caption id="attachment_299006" align="alignnone" width="480"]publive-image आरोपी की वर्ष 1983 में पुलिस में भर्ती होने के बाद की तस्‍वीर[/caption]

बता दें कि (Indore News) इंदौर में पुलिस विभाग में एक  व्‍यक्ति ने कागजों में अपनी जाति बलदलकर ब्राह्मण से कोरी बन गया। जिसका जाति प्रमाण पत्र भी तहसील से बनवा लिया। इस कोरी जाति के प्रमाण पत्र पर 19 साल की उम्र में वर्ष  1983 में (Indore News) पुलिस विभाग में भर्ती हुआ। तभी से शिकायत होने के बाद भी वह नौकरी करता रहा।

अब कोर्ट ने उसे चार हजार के जुर्माने के साथ 10 साल की सजा सुनाई है।

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   शिकायत के बाद भी कुछ नहीं हुआ

बता दें कि कोर्ट के फैसले में (Indore News) आरोपी सत्यनारायण पिता राम वैष्णव उम्र 60 साल निवासी लक्ष्मीपुरी कॉलोनी इंदौर हैं।

जिसने मात्र 19 साल की उम्र में अगस्‍त 1983 में पुलिस की भर्ती परीक्षा दी। जिसमें वह पास होकर पुलिस आरक्षक के पद पर भर्ती हो गया।

भर्ती प्रक्रिया के दौरान (Indore News) फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर पुलिस विभाग में किसी  को कोई  शंका नहीं हुई। इसको लेकर वर्ष 2006 मई में

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(Indore News) छोटी ग्‍वालटोली थाना प्रभारी को फर्जी जाति प्रमाण पत्र देकर पुलिस में नौकरी करने संबंधित शिकायत मिली।

उक्‍त शिकायत के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया, लेकिन यह मामला दब गया और आरक्षक आराम  से अपनी नौकरी करता रहा।

[caption id="attachment_299007" align="alignnone" width="488"]publive-image जाति प्रमाण पत्र कर दिया था निरस्‍त, लेकिन नौकरी करता रहा आरोपी[/caption]

   रिकॉर्ड में जाति प्रमाण पत्र ही नहीं

(Indore News) कोर्ट में जानकारी दी गई कि 22 जून 2016 को जांचकर्ता पुलिस अधिकारी एसपी कार्यालय पहुंचा।

जहां एएसआई के पद पर पदस्‍थ सत्‍यनारायण की  सेवा पुस्तिका और सर्विस रिकॉर्ड से संबंधित रिकॉर्ड को  जब्‍त कर लिया गया।

उक्‍त सर्विस रिकॉर्ड में मुख्‍य जाति प्रमाण पत्र नहीं था।

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   स्‍कूल से मिले सबूत

(Indore News) फर्जी जातिप्रमाण पत्र मामले में पुलिस जांच के संबंध में आरोपी के स्‍कूल पहुंची। जहां आरोपी की जाति  के संबंध में दस्‍तावेज खंगाले गए।

यह स्‍कूल  शासकीय हिंदी प्राथकिम विद्यालय क्रमांक 33 किला मैदान से आरोपी की जाति के प्रमाण मिले।

इस स्‍कूल के अध्‍यापक ने कोर्ट में जानकारी दी कि स्‍कूल रिकॉर्ड में (Indore News) आरोपी ने स्‍कूल को जो जाति प्रमाण पत्र दिया था उसमें जाति हिंदू ब्राह्मण लिखी थी।

इसके बाद फिर जन्‍म तारीख को लेकर मामला उलझ गया। आरोपी की  जाति  तो स्‍कॉलर रजिस्‍टर में लिखी थी, लेकिन उसमें जन्‍म तिथि‍ नहीं होने पर उसे बाद में लिखा।

मामले में आरोपी की जन्म तारीख से जुड़ा कोई विवाद नहीं होने के चलते इसकी जांच नहीं हुई।

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   यह है पूरा मामला

बता दें कि अब 60 साल के हो चुके सत्‍यनारायण वैष्‍णव इंदौर के लक्ष्‍मीपुरी इलाके के निवासी हैं। सत्‍यनारायण ने (Indore News) फर्जी  जाति प्रमाण पत्र पर पुलिस में नौकरी की।

23 साल नौकरी पूरी करने के बाद 2006 में शिकायत हुई। इस (Indore News) शिकायत बताया कि सत्‍यनारायण ने कोरी समाज  के जाति प्रमाण पत्र पर सरकारी नौकरी हासिल की है। ज

बकि उसके पिता ब्राह्मण हैं। इसके बाद फर्जी  जाति प्रमाण पत्र मामले की जांच की गई। इसके बाद पुलिस ने 2013 में कोर्ट में चालान पेश किया।

इस मामले में कोर्ट में ट्रायल चला, जिसका फैसला वर्ष 2024 में आया है। इस मामले में कोर्ट ने 3 दिन पहले सजना सुनाई है।

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