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Indore Rat Bite Case
हाइलाइट्स
इंदौर MY अस्पताल में चूहे से मौत का मामला
डीन और अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया
पेस्ट कंट्रोल जांच के बिना भुगतान
Indore Rat Bite Case: इंदौर के एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में चूहे के काटने के बाद दो बच्चियों की मौत के मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College) के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अस्पताल प्रभारी डॉ. अशोक यादव को भी दोषी माना गया है। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से आयुष्मान भारत के सीईओ योगेश भरसट की कमेटी ने जांच की थी।
जांच रिपोर्ट में कई गंभीर खुलासे
- अस्पताल की साफ-सफाई, पेस्ट और रोडेंट कंट्रोल की जिम्मेदारी डीन और अधीक्षक की थी। कंपनी के कार्यों का निरीक्षण और भुगतान भी दोनों के कर्तव्यों में शामिल था।
- डीन और अधीक्षक ने आउटसोर्स कंपनी एजाइल को किए गए पमेंट के दस्तावेज और नोटशीट जांच समिति को उपलब्ध नहीं कराए। बार-बार रिमाइंडर के बावजूद प्रबंधन ने जानकारी साझा नहीं की।
- कंपनी ने केवल कागजों पर पेस्ट कंट्रोल का दावा किया, लेकिन बिना सत्यापन करोड़ों का भुगतान किया गया।
- इंचार्ज सिस्टर ने 7 जनवरी 2025 को एनआईसीयू में चूहों की समस्या को लेकर पत्र लिखा, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- कंपनी के मैनेजर प्रदीप रघुवंशी ने भी माना कि पेस्ट कंट्रोल ठीक से नहीं किया गया, जिससे यह गंभीर घटना हुई।
- घटना के बाद कर्मचारियों ने कंपनी के प्रतिनिधियों से कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
- पहली घटना के तुरंत बाद अगर कंपनी ने कार्रवाई की होती तो दूसरी घटना को रोका जा सकता था।
- वरिष्ठ डॉक्टरों ने समय पर बच्चों का परीक्षण नहीं किया; केवल रेजीडेंट डॉक्टरों ने ही उन्हें देखा।
- बेबी ऑफ रेहाना के वेंटिलेटर रिकॉर्ड और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जांच समिति के सामने प्रस्तुत नहीं किए गए।
इंचार्ज सिस्टर ने कहा- जनवरी में एक पत्र लिखा था
जांच समिति के सामने इंचार्ज सिस्टर ने बताया कि 7 जनवरी को चूहों की समस्या के लिए पत्र लिखा गया था, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इतनी लापरवाही के बावजूद कंपनी को भुगतान किया गया। बेबी ऑफ रेहाना को वेंटिलेटर पर रखने और फिर वापस हटाने के बाद फिर से रखने के रिकॉर्ड भी जांच समिति के सामने पेश नहीं किए गए। सूत्रों का कहना है कि अगर रिकॉर्ड रखे जाते तो और भी लापरवाही सामने आती।
पेस्ट कंट्रोल की जांच किए बिना ही पेमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल की सफाई और पेस्ट कंट्रोल की जिम्मेदारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. यादव और डीन डॉ. घनघोरिया पर थी। दोनों को आउटसोर्स कंपनी एजाइल के कामों का निरीक्षण करने के बाद ही भुगतान करना चाहिए था। लेकिन डीन और अधीक्षक दोनों ही सही जानकारी समय पर नहीं दे पाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह माना कि इस पूरी घटना के बाद अस्पताल के अधीक्षक और डीन दोनों प्रबंधन में असफल रहे।
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