Indore IAS Corruption: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से एक बड़ी प्रशासनिक खबर सामने आई है, जहां दो सीनियर आईएएस अधिकारियों- पूर्व नगर निगम कमिश्नर हर्षिका सिंह और स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह- के खिलाफ लोकायुक्त ने जांच के आदेश देते हुए प्रकरण दर्ज कर लिया है। मामला नगर निगम में नियमों को ताक पर रखकर एक संविदा इंजीनियर को भवन अधिकारी बनाने और अवैध तरीके से नक्शे पास करने से जुड़ा है।
संविदा इंजीनियर को नियमों के खिलाफ बनाया भवन अधिकारी
शिकायत (Indore IAS Corruption) में दावा किया गया है कि स्मार्ट सिटी में संविदा पर कार्यरत सिविल इंजीनियर को नगर निगम में नियमित भवन अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया गया, जबकि उसके पास इस पद की आवश्यक शैक्षणिक और विभागीय योग्यता नहीं थी। यही नहीं, उसे विभिन्न प्रकार के अधिकार भी सौंप दिए गए जिससे उसने झोन क्रमांक 13 में सैकड़ों नक्शों पर अवैध डिजिटल हस्ताक्षर कर स्वीकृति दे दी।
प्रारंभिक जांच के बाद प्रकरण पंजीबद्ध
यह शिकायत पूर्व पार्षद दिलीप कौशल द्वारा लोकायुक्त मध्यप्रदेश को सौंपे गए सभी दस्तावेजों और शपथ-पत्र के साथ की गई थी। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 467, 336, 340, 61 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(D) और 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी। इसके बाद लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के आधार पर FIR के लिए प्रकरण क्रमांक 31/ई/2025 पंजीबद्ध किया, जिसकी अब विस्तृत जांच की जाएगी।
भवन नक्शों से अवैध कमाई का आरोप
शिकायत के अनुसार, संविदा इंजीनियर देवेश कोठारी ने असली तथ्यों को छिपाते हुए लगभग 250 भवनों के नक्शे अवैध तरीके से पास किए, जिससे उसने बिल्डरों से मोटी रकम वसूली। साथ ही जिन भवनों को अवैध घोषित किया गया, उनमें से किसी में भी तोड़फोड़ या वैधानिक कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं, शिकायत में यह भी कहा गया है कि निगमायुक्त और स्मार्ट सिटी के CEO को इस संविदा कर्मचारी की असल स्थिति की जानकारी थी, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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IAS अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल
इस पूरे मामले (Indore IAS Corruption) में दोनों वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने समय रहते हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह दोनों को अवगत कराया था, लेकिन जानबूझकर कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि या तो अधिकारियों की मिलीभगत थी या लापरवाही। दोनों ही स्थितियाँ, कानूनन गंभीर अपराध की श्रेणी में आती हैं।
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